Mango Farming Tips: आम की फसल में कई तरह के रोग लगने का खतरा बना रहता है, जिनसे उत्पादन प्रभावित हो सकता है. "एन्थ्रेक्नोज़" भी आम का प्रमुख रोग है, जो आम के उत्पादन में भारी कमी ला सकता है. ऐसे में इस रोग का सफलतापूर्वक प्रबंधन करना बेहद आवश्यक होता है. आम के बाग में एन्थ्रेक्नोज रोग नुकसान का बढ़ा कारण बन सकता है, यदि इसे अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए. एन्थ्रेक्नोज़ रोग आम के बाग में फैलने से फल भी बुरी तरह से प्रभावित होते हैं, जिस वजह से इन्हें बाजार में लाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, आम की फसल में लगने वाले एंथरेक्नोज रोग के लक्षण और प्रबंधन के तरीके.
एंथरेक्नोज रोग के लक्षण
प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह के मुताबिक, एंथरेक्नोज, आम की फसल में कोलेटोट्रिचम और ग्लियोस्पोरियोइड्स नामक रोगकारक के कारण होने वाला एक कवक रोग है. इसके शुरूआती लक्षण पत्तियों, टहनियों, डंठल (पेटीओल्स), फूलों के गुच्छों (पैनिकल्स) और फलों को प्रभावित करते हैं. इस रोग में आम की पत्तियों पर छोटे घाव, कोणीय और भूरे से काले धब्बों के रूप में शुरू होते हैं, जो व्यापक मृत क्षेत्रों का निर्माण कर सकते हैं. यह रोग उस समय ज्यादा देखने को मिलता है जब नई पत्तियां निकल रही होती है.
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डॉ एसके सिंह के अनुसार, एंथरेक्नोज रोग नवंबर के महिने में आम की पत्तियों पर अधिक सक्रिय रहता है. जिस बाग में पत्तियों पर यह रोग ज्यादा रहता है, उस बाग में एन्थ्रेक्नोज से प्रभावित पके फल तोड़ने से पहले या बाद में धंसा, उभरे हुए, गहरे भूरे से काले रंग के धब्बे बन जाते हैं और समय से पहले पेड़ से गिर भी सकते हैं. प्रोफेसर के मुताबिक, अधिकांश हरे फलों के संक्रमण अव्यक्त रहते हैं और पकने तक काफी हद तक अदृश्य रहते हैं. इस प्रकार जो फल कटाई के समय स्वस्थ दिखाई देते हैं उनमें पकने पर महत्वपूर्ण एन्थ्रेक्नोज लक्षण तेजी से विकसित हो सकते हैं. इस रोग के फैलने पर आम के तने और फल पर घाव बनने लगते हैं, जो गुलाबी-नारंगी बीजाणुओं का उत्पादन कर सकते हैं. नम, आर्द्र और गर्म मौसम की स्थिति बाग में एन्थ्रेक्नोज संक्रमण को बढ़ाने में सहायक होता है. रोगजनक के बीजाणु (कोनिडिया) बारिश या सिंचाई के पानी के छींटे की वजह से निष्क्रिय रूप से फैल जाते हैं.
एन्थ्रेक्नोज रोग का प्रबंधन
प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह के मुताबिक, हर साल फल की तुड़ाई के बाद आम के पेड़ों की कटाई छंटाई करनी चाहिए और जमीन से गिरे हुए पौधों के मलबे को हटा देना चाहिए. व्यापक पौधों की दूरी गंभीर महामारियों को रोकेगी और अन्य प्रकार के पेड़ों के साथ इंटरक्रॉपिंग जो आम एन्थ्रेक्नोज के मेजबान नहीं हैं, महामारी को रोकेंगे.
कवकनाशी का स्प्रे रोग नियंत्रण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. छिड़काव तब शुरू होना चाहिए जब पुष्पगुच्छ पहली बार दिखाई दें और अनुशंसित अंतराल पर तब तक जारी रखें जब तक कि फल लगभग 2 इंच लंबे न हो जाएं.
कार्बेन्डाजिम (50WP) या मिथाइल थियोफेनेट (70 प्रतिशत) या साफ नामक फफुंदनाशक की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से रोग की उग्रता में भारी कमी आती है.
मौसम के आधार पर हर 15 से 20 दिनों में छिड़काव करने से पत्तियों के एन्थ्रेक्नोज को नियंत्रित किया जा सकता है. यह रोग की उग्रता के अनुसार निर्धारित किया जाना चाहिए.