Mangifera Indica: आम को फलों का राजा कहा जाता है और यह उत्तर भारत में अत्यधिक लोकप्रिय है. इसकी सफल खेती और फूल आने की प्रक्रिया जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी की गुणवत्ता और सही प्रबंधन प्रथाओं पर निर्भर करती है. उत्तर भारत में आम में अच्छे फूल आने के लिए निम्नलिखित कृषि जलवायु आवश्यकताएं महत्वपूर्ण हैं जैसे...
2. तापमान की भूमिका
आम के फूल आने की प्रक्रिया में तापमान/Climate for Mango Farming का अत्यधिक महत्व है.आम के पेड़ों के विकास लिए 24°C से 30°C का तापमान अनुकूल होता है. फूलों के विकास के लिए 10°C से 15°C तक का न्यूनतम तापमान और 32°C से अधिक न होना उपयुक्त है. फूल आने के समय उपयुक्त तापमान 20–25°C है. फूल आने के समय न्यूनतम तापमान 15°C से कम होने पर फूल आने में देरी हो सकती है. फूल निकलते समय 35°C से अधिक तापमान फूलों के झड़ने (flower drop) का कारण बनता है.
शीत ऋतु का प्रभाव: आम के लिए सर्दियों के दौरान हल्की ठंड (10°C से 15°C) आवश्यक होती है. यह ठंड फूलों के प्रेरण (flower induction) को बढ़ावा देती है. यदि सर्दियां अधिक कठोर हो जाएं तो पेड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
2. वर्षा और नमी का प्रभाव
संतुलित वर्षा: 750 मिमी से 1200 मिमी वार्षिक वर्षा आम के लिए आदर्श मानी जाती है. फूल आने के समय वर्षा का होना नुकसानदायक होता है क्योंकि इससे फूल गिर सकते हैं.
नमी का महत्व: फूलों के विकास के लिए हल्की नमी आवश्यक है, लेकिन अत्यधिक आर्द्रता (humidity) फफूंद जनित रोगों को बढ़ावा दे सकती है. फूल आने के समय आर्द्रता 50% से 70% के बीच होनी चाहिए.
3. सूर्य का प्रकाश
आम के पेड़ों को अच्छी मात्रा में सूर्य का प्रकाश चाहिए. दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे का सीधा प्रकाश आवश्यक होता है. यह प्रकाश फूलों की गुणवत्ता और परागण क्षमता को बढ़ाने में सहायक है.
4. मृदा (मिट्टी) की भूमिका
मिट्टी का प्रकार: आम की खेती के लिए बलुई दोमट (sandy loam) या गाद युक्त दोमट मिट्टी आदर्श है. मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
जल निकास: फूलों के स्वस्थ विकास के लिए मिट्टी का जल निकास अच्छा होना चाहिए. जलजमाव से जड़ों को नुकसान होता है और फूल गिर सकते हैं.
पोषक तत्वों की भूमिका: मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सूक्ष्म पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा होनी चाहिए. विशेषकर बोरॉन और जिंक फूल आने के लिए आवश्यक हैं.
5. हवा और वायुगतिकीय कारक
फूलों की गुणवत्ता और परागण में हवा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
हल्की हवा: हल्की हवा फूलों के परागण और विकास के लिए लाभदायक होती है.
तेज हवा का प्रभाव: तेज हवा फूलों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे फलन दर कम हो सकती है.
6. सिंचाई प्रबंधन
आम के पेड़ों में फूल आने से पहले सिंचाई की आवश्यकता कम होती है.
सिंचाई का समय: फ्लश (flush) के दौरान और फूल आने के बाद सिंचाई करना जरूरी है.
जल की गुणवत्ता: सिंचाई के लिए साफ और खारेपन से मुक्त पानी का उपयोग करना चाहिए.
7. रोग और कीट प्रबंधन
फूल आने के दौरान रोग और कीटों का प्रबंधन जलवायु पर निर्भर करता है.
पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेक्नोज़: अधिक नमी वाले मौसम में यह रोग फूलों को प्रभावित कर सकते हैं.
कीट प्रबंधन: फूल आने के समय मीज़ बग और थ्रिप्स जैसे कीट अधिक सक्रिय रहते हैं. इनका प्रबंधन समय पर करना चाहिए.
8. कृषि प्रबंधन प्रथाएं
प्रूनिंग (छंटाई): फूल आने से पहले पुरानी और सूखी शाखाओं को काटकर पेड़ की ऊर्जा को नए फूलों के विकास की ओर मोड़ा जाता है.
मल्चिंग: मिट्टी की नमी बनाए रखने और खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग फायदेमंद होती है.
खाद और उर्वरक: फूल आने से पहले संतुलित मात्रा में जैविक और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग किया जाना चाहिए.
9. क्षेत्रीय विविधता का प्रभाव
उत्तर भारत में विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु में भिन्नता होती है. उदाहरण के लिए:
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में गर्मियों के दौरान अधिक तापमान होता है, जो फूलों के गिरने का कारण बन सकता है.
- बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून के समय अधिक वर्षा होती है, जिससे फूल झड़ने का खतरा रहता है.
10. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण फूल आने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है.
अनियमित वर्षा: अनियमित वर्षा फूलों के प्रेरण और विकास को बाधित कर सकती है.
अत्यधिक गर्मी या ठंड: असामान्य तापमान फूलों की गुणवत्ता को कम कर सकता है.