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Updated on: 15 May, 2024 12:00 AM IST
बाग़ में आम, फोटो साभार: फ्रिपिक

देश के कई राज्यों में आम की बागवानी प्रमुखता से की जाती है. वही आम तोड़ने-पकाने का समय मई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त तक होता है. इस समय अवधि का सभी आम प्रेमियों को सालभर इंतज़ार रहता है. हालांकि, सभी आम उत्पादक किसान को यह पता होना चाहिए कि इन आमों को पेड़ से तोड़ने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है. साथ ही योजना, समय और तकनीक की आवश्यकता होती है. चाहे आपके पास एक ही पेड़ क्यों न हो, या एक पूरा बाग हो. आम की तुड़ाई कब और कैसे करें उसकी पूरी जानकारी होना बेहद जरुरी है.

आम तोड़ने लायक है या नहीं कैसे पहचानें?

एक परिपक्व आम के फल की तुड़ाई करने में फलों के सेट होने से लेकर तुड़ाई के मध्य लगभग 120 से 140 दिन लगते हैं. यह प्रजाति के अनुसार अलग-अलग होते हैं. परिपक्व होने पर आम के फल के कंधे (पक्ष) ऊपर उठ जाते हैं, और आंशिक रूप से डंठल से जहां जुड़े होते हैं, धंस जाते हैं. गहरे हरे फल परिपक्वता के समय हल्के पीले रंग में बदलने लगते हैं. कुछ आम की किस्मों में, फल की त्वचा पर एक स्पष्ट सफेद परत परिपक्वता पर बनती है. बाग में जब आम के फल अपने आप पककर गिरने लगते हैं, तब भी बागवान समझ जाता है कि अब आम की तुड़ाई किया जा सकता है, और पकाकर बाजार में भेजे जाने योग्य हो गया है.

आम की तुड़ाई कब करें?

आम की तुड़ाई हमेशा सुबह या सायंकाल को 8-10 सेमी लम्बी डंठल सहित तुड़ाई करना चाहिए. तुड़ाई के बाद फलों को कभी भी सीधे धूप में न रखें. एक ही पेड़ पर सभी फल एक ही समय में परिपक्व नहीं हो सकते हैं, क्योंकि मंजर में फल भी कभी एक साथ नहीं लगते हैं. इसलिए एक साप्ताहिक अंतराल में एक बाग में 2-3 तुड़ाई करें.

आम की तुड़ाई के समय ध्यान देने योग्य बातें

  • तुड़ाई करते समय फलों को जमीन पर नहीं गिरने दें.
  • कुशल तुड़ाई और फलों के संग्रह के लिए ब्लेड और नायलॉन नेट के साथ विशेष आम हार्वेस्टर का उपयोग करें.
  • तुड़ाई के समय ध्यान देना चाहिए की फल से निकल रहे स्राव फल के ऊपर न पड़े.
  • फलों की तुड़ाई के तुरंत बाद, उन्हें पहले छायादार स्थान पर इकट्ठा किया जाना चाहिए ताकि आम की गर्मी को दूर किया जा सके और उसके बाद भंडारण से पहले धोया और सुखाया जाना चाहिए.
  • आम तुड़ाई से पूर्व किसी भी प्रकार का कोई भी उर्वरक का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए इससे कोई फायदा नहीं होता है.
  • जब फल पूर्ण आकार प्राप्त कर लेते हैं, तो आम के बाग को पानी देना बंद कर देना चाहिए, इससे आम के पकने की प्रक्रिया में तेज़ी आती है.
  • फलों की तुड़ाई से तीन सप्ताह पूर्व थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू0 पी0 @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल की तुड़ाई के उपरान्त होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.

तुड़ाई के बाद आम का उपचार कैसे करें ?

  • फलों से भरे क्रेट को गर्म पानी में पूरी तरह से डुबोने के लिए टैंक को पर्याप्त साफ पानी से भरें.
  • पानी को 48°C तक गर्म करें.
  • उपचारित किए जाने वाले आम को प्लास्टिक के क्रेट में डालें.
  • टोकरा फलों को गर्मी से होने वाले नुकसान से बचाता है क्योंकि यह टैंक के गर्म किनारों और तल के संपर्क को रोकता है.
  • आम पानी में तैरते हैं, इसलिए टोकरे के ऊपर एक आवरण, जैसे जाल रखें.
  • टोकरे को 20 मिनट के लिए गर्म पानी में डुबोएं, अगर पानी को प्रसारित करने के लिए कोई पंप नहीं है, तो टैंक में एक समान तापमान सुनिश्चित करने के लिए पानी को बीच-बीच में हिलाते रहें.
  • तापमान को कभी भी 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर न बढ़ने दें अन्यथा फल जल जाएगा या डैमेज हो जाएगा.
  • अगर फलों को दूर के बाज़ार में ले जाना है, तो उपचारित आम को ठंडे पानी जिसमें 1 प्रतिशत सोडियम बायकार्बोनेट @ 10 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से एवं इसी घोल में थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू/डब्ल्यू कवकनाशी @ 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी में डुबोकर 10 मिनट तक ठंडा करें.
  • पैकिंग से पहले फलों को ठंडा होने दें और सूखने दें. ब्लोअर या पंखा के सामने टोकरियां रखकर तेज़ी से सुखाया जा सकता है.
  • यदि फल ठीक से नहीं सूखे होंगे तो उनके सड़ने की संभावना होती है.

आम को पकाने की वैज्ञानिक विधि

आम के फल को उपचारित करने के बाद,  प्रभावी ढंग से और सुरक्षित तरीके से पकाने के लिए कई वैज्ञानिक तरीके अपनाए जा सकते हैं, साथ ही उनकी गुणवत्ता भी बरकरार रखी जा सकती है.

  1. नियंत्रित वातावरण भंडारण

नियंत्रित वातावरण भंडारण में फलों के आस-पास ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और एथिलीन के स्तर को नियंत्रित करना शामिल है, ताकि पकने को नियंत्रित किया जा सके. इन कारकों को समायोजित करके, आम को धीरे-धीरे और समान रूप से पकाया जा सकता है. इस विधि के लिए विशेष उपकरण और वायुमंडलीय स्थितियों की सटीक निगरानी की आवश्यकता होती है.

  1. एथिलीन उपचार

आम को एथिलीन गैस के संपर्क में लाना पकने में तेजी लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक आम विधि है. एथिलीन फलों के पकने में शामिल जीन की अभिव्यक्ति को ट्रिगर करता है, जिससे रंग, बनावट और स्वाद में बदलाव होता है.

  • यह एक सरल और हानिरहित तकनीक में, 10 मिली लीटर ईथरल और 2 ग्राम सोडियम हाइड्रॉक्साइड को एक चौड़े मुंह वाले बर्तन में पांच लीटर पानी में मिलाया जाता है. इस बर्तन को फलों और कमरे के पास पकने वाले कक्ष (वायु रोधी) के अंदर रखा जाता है. कमरे का लगभग एक तिहाई हिस्सा हवा के संचलन के लिए शेष क्षेत्र को छोड़कर फलों से भरा होता है. फलों को 12 से 24 घंटों के लिए इस कक्ष में रखा जाता है. रसायन की लागत को कम करने के लिए, इथाइलीन उत्सर्जन करने वाले फल जैसे पपीता और केला जैसे फल भी उसी कमरे में रखने से फल जल्दी पक जाते हैं.

  • एक अन्य तरीका यह है कि फलों को एयर टाइट कक्ष के अंदर पकने के लिए रखा जाए और कक्ष में धुआं किया जाये. धुआं एसिटिलीन गैस का उत्सर्जन करता है. कई फल व्यापारी इस तकनीक का उपयोग करते हैं, खासतौर पर पपीता, केला और आम जैसे खाद्य फलों को पकाने के लिए. लेकिन इस पद्धति का मुख्य दोष यह है कि फल एक समान रंग और स्वाद प्राप्त नहीं करते हैं. इसके अलावा, उत्पाद पर धुएं की गंध फल की गुणवत्ता को बाधित करती है.

  • भण्डारण पूर्व फलों को धो लेना चाहिए. धोने के उपरांत फलों को एक समान पकाने के लिए आवश्यक है कि इसे इथरेल नामक दवा @1.5 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर 5-7 मिनट डुबाकर भंडारण करना चाहिए. यदि इसी घोल में थायोफेनेट मिथाइल नामक फफूंदनाशक @ 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी की दर से मिला देने से इसे अधिक समय पर भंडारित किया जा सकता है. वैसे यह विधि पूरी तरह से वैज्ञानिक नहीं है, सलाह दिया जाता है की फलों को सीधे इथेरल के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए.

  • आम पकाने के कक्ष में एथिलीन गैस का पपीता पकाने के उपयोग सुरक्षित और दुनिया भर में स्वीकृत विधि है. एथिलीन गैस के कैन से स्प्रे भी 24-48 घंटों में फल पकने को बढ़ावा देता है. एथिलीन एक प्राकृतिक हार्मोन होने के कारण फलों के उपभोक्ताओं के लिए कोई स्वास्थ्य खतरा नहीं है. यह एक डी-ग्रीनिंग एजेंट है, जो छिलके को हरे रंग से परिपूर्ण पीले (आम, पपीता एवं केले के मामले में) में बदल सकता है और फलों की मिठास और सुगंध को बनाए रख सकता है, इस प्रकार फल में मूल्यवर्धन संभव है क्योंकि यह अधिक आकर्षक लगता है तथा पूरी तरह से सुरक्षित है.
  1. तापमान और आर्द्रता नियंत्रण

आम के पकने को नियंत्रित करने के लिए इष्टतम तापमान और आर्द्रता की स्थिति आवश्यक होती है. नमी के नुकसान को रोकने के लिए आर्द्रता के स्तर को नियंत्रित करते हुए तापमान को आदर्श सीमा के भीतर बनाए रखने के लिए तापमान-नियंत्रित पकने वाले कमरे या कक्षों का उपयोग किया जा सकता है. पकने की पूरी प्रक्रिया के दौरान इन कारकों की निगरानी और समायोजन करने से लगातार गुणवत्ता और एक समान पकने की प्रक्रिया सुनिश्चित होती है.

नोट: आम को कभी भी कार्बाइड से नहीं पकाना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है.

English Summary: how to harvesting mango fruit method mango ripening scientifically management
Published on: 15 May 2024, 11:20 IST

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