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Updated on: 6 January, 2020 12:00 AM IST

अपने स्वाद और लालीमा के लिए इलाहाबादी अमरूद विश्वभर में प्रसिद्ध है. सर्दियों के मौसम में तो इसकी मिठास लाजवाब है. इस बार तो मिठास के मामले में ये कश्मीरी और हिमाचली सेब को टक्कर दे रहा है. जनवरी के साथ ही इलाहाबादी अमरूद की मांग में भारी इज़ाफ़ा हुआ है.

क्या कहते हैं किसान

यहां के क्षेत्रिय किसानों के मुताबिक अमरूद और आम के पैदावार में कोई खास फ़र्क नहीं है. दोनों की पैदावार एक वर्ष तो अधिक रहता है लेकिन दूसरे वर्ष कम हो जाती है. साल 2020, पैदावार के हिसाब से किसानों के लिए अच्छा है. किसानों ने बताया कि पिछले साल पैदावार में अधिक कमी आई थी जिस कारण अमरूद के भाव 40 से 50 रुपये किलो के थोक भाव में हो गये थे. इस बार पैदावार दोगुनी पोग जिससे थोक में 20 रुपये किलो के हिसाब से यह बिक रहा है।

प्रमुखता से होती है लाल अमरूद की खेती

बता दें कि यहां लाल एवं सफेदा अमरूद की खेती प्रमुख है. भारी पैदावार होने की वजह से बाजार में अमरूद महज़ 40 रुपये किलो में बिक रहा है. ये दाम आम जन के बजट में है जिस कारण मांग में इज़ाफ़ा हुआ है.

इलाहाबादी अमरूद की है अपनी पहचान

इलाहाबादी सेबिया अमरूद की अपनी पहचान है. ये देखने में सेब की शक्ल के होते हैं और इनका छोटा आकार इन्हें खास बनाता है. सेबिया किस्म के अमरूद इन दिनों राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और झारखंड जैसे राज्यों में भी खूब पसंद किए जा रहे हैं. लोग इनके स्वाद की तरफ़ आकर्षित हो रहे हैं. खास बात यह है कि सेबिया अमरूद अन्य किसी शहर में नहीं लगाए जाते हैं.

English Summary: farmers are getting huge benefits from Sebiya Guava farming
Published on: 06 January 2020, 12:42 IST

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