हर फसल की बुवाई का अपना समय होता है और उसी वक़्त उसकी बुवाई किसानों द्वारा की जाती है. समय से पहले या समय के बाद फसलों की अगर बुवाई की जाए तो इसका असर फसल की उपज और उसकी गुणवत्ता पर पड़ता है. इस लिए किसान इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं की समय से सभी फसलों की बुवाई हो जाए ताकि उनके आय पर किसी तरह का कोई प्रभाव ना पड़े.
वहीँ अगर किसानों की बात करें तो ठण्ड के मौसम में इनके द्वारा सब्जियां और साग की खेती मुख्य तौर पर की जाती है.
एक तो इसमें लागत कम लगती है और इससे जो मुनाफा होता है वो काफी अधिक होता है अन्य फसलों के मुकाबले. इसलिए हमें इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है कि किस माह में कौन-सी खेती करें, ताकि भरपूर उत्पादन के साथ ही अच्छा मुनाफा कमाया जा सके.
वैसे तो आजकल अधिकतर सब्जियों की खेती सालभर होने लगी है. पर बेमौसमी फसल उपजाने से उत्पादन में कमी तो आती ही है, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी कम होती है, जिससे उसके बाजार में अच्छे भाव नहीं मिल पाते जबकि सही समय पर फसल लेने से बेहतर उत्पादन के साथ भरपूर कमाई भी होती है.
तो आइए जानते हैं दिसंबर माह में कौन-कौन सी फसल की खेती करें, ताकि भरपूर कमाई हो सके.
टमाटर (Tomato)
दिसंबर माह में टमाटर की खेती की जा सकती है. इसके लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जाना चाहिए. इसकी उन्नत किस्मों में अर्का विकास, सर्वोदय, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल, अदिति, अजय, अमर, करीना, अजित, जयश्री, रीटा, बी.एस.एस. 103, 39 आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं.
मूली (Radish)
मूली की फसल के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है. मूली का अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है. इसकी उन्नत किस्में जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद है. शीतोषण प्रदेशो के लिए रैपिड रेड, ह्वाइट टिप्स, स्कारलेट ग्लोब तथा पूसा हिमानी अच्छी किस्में हैं.
पालक (Spinach)
पालक साग का ठंड में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, पालक को ठंडे मौसम की जरूरत होती है. ऐसे में पालक की बुवाई करते समय वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उपयुक्त वातावरण में पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है. पालक की उन्नत किस्मों में प्रमुख रूप से पंजाब ग्रीन व पंजाब सलेक्शन अधिक पैदावार देने वाली किस्में मानी जाती हैं. इसके अलावा पालक की अन्य उन्नत किस्मों में पूजा ज्योति, पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा भारती आदि भी शामिल हैं.
बैंगन (Brinjal)
बैंगन की खेती के लिए जैविक पदार्थों से भरपूर दोमट एवं बलुआही दोमट मिट्टी बैंगन के लिए उपयुक्त होती है. बैंगन लगाने के लिए बीज को पौध-शाला में छोटी-छोटी क्यारियों में बोकर बिचड़ा तैयार करते हैं.जब ये बिचड़े चार-पांच सप्ताह के हो जाते हैं, तो उन्हें तैयार किए गए उर्वर खेतों में लगाते हैं. इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 500-700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है. इसकी बुवाई करते समय लंबे लम्बे फलवाली किस्मों में कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर व पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा गोल फलवाली किस्में कतार से कतार की दूरी 75 सेंटीमीटर व पौधे से पौधे के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखी जानी चाहिए.
सरसों (Mustard)
सरसों की फसल के लिए दोमट भूमि सर्वोतम होती है, जिसमें की जल निकास उचित प्रबन्ध होना चाहिए. राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियां जैसे- क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते हैं, पूसा बोल्ड उर्वशी, तथा नरेन्द्र राई प्रजातियां की बुवाई सिंचित दशा में की जाती है तथा असिंचित दशा में बोई जाने वाली सरसों की प्रजातियां जैसे की वरुणा, वैभव तथा वरदान, इत्यादि क़िस्मों की बुवाई करनी चाहिए.
गोभी (Cauliflower)
ठण्ड में सब्जियों का राजा माना जाने वाली गोभी की खेती भी ठंड के मौसम में की जाती है. इसे हर तरह की भूमि पर उगाया जा सकता है पर अच्छे जल निकास वाली हल्की भूमि इसके लिए सबसे अच्छी हैं मिट्टी की पी एच 5.5-6.5 होनी चाहिए. यह अत्याधिक अम्लीय मिट्टी में वृद्धि नहीं कर सकती. इसकी उन्नत किस्मों में गोल्डन एकर, पूसा मुक्त, पूसा ड्रमहेड, के-वी, प्राइड ऑफ इंडिया, कोपन हगें, गंगा, पूसा सिंथेटिक, श्रीगणेश गोल, हरयाणा, कावेरी, बजरंग आदि हैं. इन किस्मों की औसतन पैदावार 75-80 क्विंटल प्रति एकड़ होती है.