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Updated on: 30 March, 2023 6:09 PM IST
मखाने की खेती के तरीके

मखाना का सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है. यह शरीर में डायबिटीज से लेकर कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों को नियंत्रित करता है. हड्डियों को मजबूत बनाने से लेकर वजन घटाने तक में यह बहुत मददगार होता है. हमारे देश में मखाने की 80 फीसदी खेती बिहार में की जाती है, क्योंकि यहां की जलवायु मखाने की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है. इसके अलावा यह असम, मेघालय और उड़ीसा में भी काफी मात्रा में उगाया जाता है. आइये मखाने की खेती के तरीके के बारे में जानते हैं.a

मखाने की खेती के तरीके

मिट्टी

इसकी खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. जलाशय, तालाब और निचली ज़मीन जहां जल जमाव 4-6 फ़ीट तक हो, वह जगह इसकी खेती के लिए अच्छी होती है.

बुवाई

इसकी बुआई के लिए मखाने के बीजों को तालाब में छिड़का जाता है और बीज डालने के 35 से 40 दिन बाद पानी के अंदर यह उगना शुरू हो जाते हैं. सिर्फ दो से ढ़ाई महीने के बीच ही इसके पौधे जल की सतह पर दिखने लगते हैं.

रोपाई

इस विधि से मखाने की खेती करने के लिए मखाने के स्वस्थ और नवजात पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के बीच की जाती है. बुवाई के 2 महीने बाद बैंगनी रंग के फूल पौधों पर दिखने लगते हैं. इसके 35 से 40 दिन बाद फल पूरी तरह से पक जाते हैं और गूदेदार होकर फटने लगते हैं.

नर्सरी

मखाना एक जलीय पौधा है. नर्सरी तैयार करने के लिए पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए और साथ ही पौधों के सही विकास के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश को एक अनुमानित मात्रा में मिट्टी में मिलाएं और खेत में 2 फीट ऊंचा बांध तैयार कर इसमें 1.5 फीट तक पानी डाल दें. दिसंबर महीने में इसमें मखाने के बीज डाल कर छोड़ दें और यह मार्च महीने के अंत तक पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

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कटाई

मखाने की कटाई सिंतबर और अक्टूबर के महीने के बीच की जाती है. तालाब के पानी के नीचे बैठ मखाने की कटाई की जाती है और बाकी बचे एक तिहाई बीजों को अगली बार अंकुरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है.

English Summary: You can do Makhana farming in many ways, know all the things here
Published on: 30 March 2023, 06:17 PM IST

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