बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी सभी जानकारी, जानें कब, कैसे और किस प्रक्रिया का करें इस्तेमाल 150 रुपये लीटर बिकता है इस गाय का दूध, जानें इसकी पहचान और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 22 October, 2022 12:40 PM IST
With this new variety of mustard, farmers will get bumper production in 100 days

जैसा कि आप जानते हैं कि देश में खरीफ फसलों की कटाई का समय समाप्त हो चुका है और अब रबी सीजन की फसलों की बुवाई का समय शुरू हो चुका है. ऐसे में किसान अपने खेत में रबी सीजन की ऐसी फसलों को लगाना पसंद करते हैं, जिससे उन्हें डबल मुनाफा प्राप्त हो सके. इसके लिए किसान भाइयों के लिए सरसों की खेती लाभकारी साबित हो सकती है.

बता दें कि रबी सीजन में सरसों को प्रमुख नकदी फसल कहा जाता है. भारत में सरसों को फसल से तेल निकालने के लिए अधिक उगाया जाता है. बाजार में भी सरसों की सबसे अधिक मांग होती है. इसलिए किसान सरसों की उन्नत किस्म की बुवाई कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों के लाभ के लिए कई नई-नई किस्मों के बीजों को तैयार किया गया है. इन्हीं नई किस्मों में से एक सरसों की उन्नत किस्म पूसा सरसों-28 है, जो किसानों को कम समय में अच्छा उत्पादन देती है.  

सरसों की उन्नत किस्म पूसा 28 (Improved variety of Mustard Pusa 28)

सरसों की इस किस्म से किसानों को फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है. यह किस्म बुवाई के 105 से 110 दिनों के अंदर ही अच्छे से पक जाती है. देखा जाए तो पूसा 28 किस्म के बीजों से उत्पादन 1750 से 1990 किलोग्राम तक होता है. इस किस्म से केवल तेल ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए हरे चारे भी तैयार किए जाते है. इसके अलावा इनके बीजों में 21 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती है. पूसा सरसों 28 हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इन राज्यों की मिट्टी व जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त है.

खेती के समय इन बातों का रखें ध्यान

रबी सीजन में सरसों की खेती के लिए 5 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है.

सरसों की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान को खेत में छिड़काव विधि या फिर कतार विधि का उपयोग करना चाहिए. ऐसा करने से फसल पर निगरानी रखना आसान हो जाता है और साथ ही निराई-गुड़ाई करना भी सरल हो जाता है. किसान चाहे तो इसके लिए देसी हल या सीड ड्रिल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

बुवाई के दौरान ध्यान रहे कि बीजों की लाइनों के बीच 30 सेंटीमीटर व पौधे के बीच 10-12 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए.

जैविक विधि के इस्तेमाल से किसानों को इस किस्म से डबल मुनाफा प्राप्त होगा.

इसके अलावा किसानों को बीजों के बेहतर अंकुरण के लिए 2 से 3 सेंटीमीटर की दूरी का भी ध्यान रखना चाहिए.

किसान चाहे तो अपने किसी भी कृषि वैज्ञानिक से संपर्क कर सरसों की खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. 

English Summary: With this new variety of mustard, farmers will get bumper production in 100 days
Published on: 22 October 2022, 12:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now