चंदन एक औषधीय पौधा है. इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत ज्यादा है. सफेद चंदन की इस्तेमाल दवाईयां बनाने, साबुन, अगरबत्ती, कंठी माला, लकड़ी के सामान, खिलौने, परफ्यूम और पूजा की सामग्री बनाने में किया जाता है. आज हम आपको इसकी खेती के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं.
खेती का तरीका
मिट्टी
सफेद चंदन की खेती के लिए रेतीली, चिकनी, लाल या काली दानेदार मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. हालांकि इसकी खेती के लिए लाल मिट्टी सबसे बेहतर होती है. चन्दन की खेती को पहाड़ी इलाकों, अधिक नमी वाले स्थानों और रेतीली मिट्टी वाले स्थानों पर नहीं की जा सकती है.
खाद
सफेद चंदन की अच्छी पैदावार के लिए आप जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस फसल को शुरुआत में काफी ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है. पौधे को एक बार विकसित होने के बाद इसको खाद और पानी की बहुत ही कम आवश्यकता होता है.
खरपतवार से बचाव
सफेद चन्दन के खेत में खरपतावार उगने का संभावना बहुत ही ज्यादा रहती है. इस पूरे साल देखभाल की जरुरत होती है. इसकी खेती से पहले खेत को अच्छी तरह से जोतने के बाद इसमें मौजूद खर पतवार को हटा दें ताकि भविष्य में इनके बढ़ने की संभावना न रहे.
कटाई
सफेद चन्दन के पेड़ को पूरी तरह से तैयार होने में 15 से 20 साल का समय लग जाता है. यह पेड़ बहुत ही खुशबूदार होता है. इसको काटने के बजाय जड़ सहित पूरी तरह से उखाड़ लिया जाता है क्योंकि इसके तने से ज्यादा इसकी जड़े काफी ज्यादा सगंधित होती हैं. चन्दन के पेड़ को काटने के बाद इसमें दो प्रकार की लकड़ी निकलती है. एक रसदार और दूसरी सूखी, बाजार में दोनो ही लकड़ी का अलग-अलग मूल्य होता है.
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चन्दन का बाजार भाव
बाजार में सफेद चन्दन के लकड़ी का भाव 30 हजार रूपय प्रति किलो है. एक चन्दन के पेड़ का वजन 40 से 60 किलो तक होता है. आप एक पेड़ की कटाई से लगभग दो से तीन लाख रूपये आराम से कमा सकते हैं. सफेद चंदन की मांग हमारे देश के अलावा चीन, अमेरिका और इंडोनेशिया जैसे बड़े देशों में बहुत ज्यादा है.