भारत में गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) और उत्पादन का प्रमुख स्थान है. इसके मुख्य उत्पादक राज्यों में सबसे पहले पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश का नाम आता है. मौजूदा समय में भारत लगभग 8 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन (Wheat Cultivation) कर रहा है.
हालांकि, देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए गेहूं के उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता है. इसके लिए गेहूं की उन्नत किस्मों (Wheat Variety) को विकसित भी किया जा रहा है, ताकि फसल का उत्पादन बढ़ाया जा सके. इसके अलावा, खेती की नई-नई तकनीकियों को अपनाया जा रहा है.
इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) की अहम भूमिका है, क्योंकि इसके द्वारा समय-समय पर गेहूं की नई उन्नत किस्मों (Wheat Variety) को विकसित किया जाता है.
इसी कम्र में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की है. गेहूं की किस्म का नाम एचडीसीएसडब्ल्यू 18 (HDCSW 18) दिया गया है. ये गेहूं की एक ऐसी किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) द्वारा कई मुख्य क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है.
आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि अगर गेहूं की इस किस्म (Wheat Variety) की बुवाई जल्दी की जाए, तो फसल का उत्पादन अच्छा मिलता है. बता दें कि ये ज्यादा दाने प्रति बाली (70-90), गहरे हरे, चौड़ी और शीर्ष पत्ती वाली किस्म है. आज हम इस लेख में गेहूं की HDCSW 18 किस्म का उल्लेख कर रहे हैं, इसलिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ते रहिए-
गेहूं की बुवाई के लिए क्षेत्र (Area for sowing wheat)
जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की एचडीसीएसडब्ल्यू 18 (HDCSW 18) को सिंचित एवं संरक्षण कृषि के अंतर्गत दिल्ली व एन.सी.आर. क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है. इस क्षेत्र के किसान इसे गेहूं की अगेती क़िस्म के रुप में प्रयोग कर सकते हैं.
गेहूं की बुवाई का समय (Wheat sowing time)
अगर किसान भाई गेहूं की अगेती किस्मों की बवाई करना चाहते हैं, तो गेहूं की HDCSW 18 किस्म का चुनाव कर सकते हैं. इस किस्म की अगेती बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 10 नवंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है.
गेहूं की रोग प्रतिरोधी किस्म (Disease resistant variety of wheat)
गेहूं की HDCSW 18 किस्म की खासियत है कि यह काला और भूरा रतुआ प्रतिरोधी किस्म है. इसके अलावा पीला रतुआ के प्रति औसत दर्जे से प्रतिरोधी मानी गई है. इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक है, इसलिए फसल का उत्पादन अधिक मिलने की संभावना होती है.
गेहूं की फसल तैयार होने की अवधि (Wheat harvest period)
अगर दिल्ली और एन.सी.आर की बात करें, तो यहां फसल तैयार होने में लगभग 150 दिन का समय लग जाता है. इसके अलावा अन्य राज्यों में फसल को तैयार होने में लगभग 137 दिन का समय लगता है.
एचडीसीएसडब्ल्यू 18 किस्म से उत्पादकता (HDCSW 18 Variety Productivity)
किसान भाई गेहूं की एचडीसीएसडब्ल्यू 18 किस्म से प्रति हेक्टेयर लगभग 62.8 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. मगर यह किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 78.7 क्विंटल उत्पादन देने की क्षमता रखती है.
डॉ मंजीत कुमार
वैज्ञानिक, आनुवंशिकी विभाग
आईएआरआई, दिल्ली-110012