किसान अधिक लाभ कमाने के लिए कई तरह के कार्य करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपनी फसल से ही आप अधिक से अधिक कमाई कर सकते हैं. इसके लिए आपको बस उसका सही ज्ञान होना चाहिए. इसलिए किसान हमेशा अपने खेत में सीजन के मुताबिक ही फसलों की बुवाई करना शुरू करें.
जैसे कि आप जानते हैं, अभी रबी सीजन की फसल की बुवाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में आप गेहूं की उन्नत किस्मों को सही तरीके से लगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. तो आइए इस लेख में गेहूं की उन्नत किस्मों से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानते हैं.
गेहूं की उन्नत किस्में
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डीबीडब्ल्यू-DBW 187 (करण वंदना)
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लोक-1 (लोकवन)
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डब्ल्यू एच147 (WH-147)
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एचआईHI-1620 (पूसा गेहूं 1620)
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एचडीHD-3086 (पूसा गौतमी)
डीबीडब्ल्यू- DBW 187 (करण वंदना)
गेहूं की इस किस्म को अनुसंधान संस्थान, करनाल के द्वारा साल 2019 में तैयार किया गया था. यह किस्म पीली व भूरी रोली प्रतिरोधी की तरह दिखती है. इसमें उच्च लौह तत्व के साथ चपाती की गुणवत्ता पाई जाती है. अगर हम इसके पकने की बात करें, तो यह 120 दिन में पूरी तरह से पककर तैयार हो जाती है. गेहूं की यह किस्म लगभग 100 सेमी तक बढ़ती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 64.70 क्विंटल तक उत्पादन देती है.
लोक-1 (लोकवन)
गेहूं की यह किस्म जल्दी पक जाती है. देखा जाए तो यह पछेती व बुवाई की परिस्थितियों में सबसे अच्छी किस्म मानी जाती है. यह किस्म काला धब्बा रोग से अधिक प्रभावित होती है. इस किस्म की पूरी फसल 100 दिनों तक तैयार हो जाती है और वहीं यह 40-45 प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.
डब्ल्यू एच 147 (WH-147)
गेहूं की यह किस्म बुवाई से लेकर सिंचित क्षेत्रों तक सभी के लिए अच्छी मानी जाती है. इसके दाने बेहद सख्त होने के साथ- साथ बड़े आकार वाले होते हैं. इनके दानों का रंग शरबती व अंबर होता है. इस किस्म की फसल बाजार में सबसे अच्छी बिकती है. लोग भी इसके गेहूं के आटे की रोटी को सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं. अगर हम इसकी फसल के पकने की बात करें तो यह 125-130 दिन में पूरी तरह से पक जाती है.
एचआई HI-1620 (पूसा गेहूं 1620)
गेहूं की यह किस्म भारतीय अनुसंधान क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर में साल 2019 में विकसित की गई है. इसके 1000 दानों का वजन करीब 40-45 ग्राम तक होता है. इसके गेहूं की रोटी बहुत अच्छी होती है. यह पकने में 125-140 दिनों तक का समय लेती है.
एचडी HD-3086 (पूसा गौतमी)
गेहूं की यह किस्म नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में तैयार की गई है. इसके गेहूं में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. इसमें अकेले 12.5 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है. किसान इससे 130 दिन में उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.