रबी की फसलों की बुवाई सीजन शुरू हो गई. ऐसे में किसानों द्वारा गेहूं की बुवाई की जाना है. लेकिन बहुत से किसान इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि गेहूं की बुवाई सिंचाई करने के बाद करें या फिर सूखे में ही कर दें. तो आइए जानते हैं क्या इसकी बुवाई का सही तरीका ताकि किसान गेहूं का अच्छा उत्पादन ले सकें-
-
इसमें किसानों को प्रति एकड़ 10 किलो बीज अधिक लगता है. दरअसल, इसमें कुछ बीज उपरी सतह पर पड़ने पर सुख जाता है. वहीं कुछ बीज अधिक गहरा पड़ने पर ठीक से अंकुरित नहीं हो पाता है.
-
गीला होने की वजह से बीज की अंकुरण क्षमता भी कम हो जाती है.
-
पानी देने के बाद गेहूं की बुवाई करने से बोनी 15 दिन पिछेती हो जाती है.
सूखे की बोनी
सूखे की बोनी किसान सूखे खेत में गेहूं की बुवाई कर देते हैं. बुवाई के बाद खेत में सिंचाई की जाती है. आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान-
फायदें
-
सिंचाई के बाद बोनी की तुलना में सूखे की बोनी में कम समय लगता है क्योंकि इसमें किसानों को सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
-
बीजों का अंकुरण सही हो जाता है क्योंकि बुवाई के बाद गेहूं में सिंचाई कर दी जाती है.
-
वहीं किसानों प्रति एकड़ 10 किलो ग्राम बीज कम लगता है. क्योंकि बीज किसी तरह से खराब नहीं होता है.
-
यह एक तरह से 15 दिन अगेती बोनी हो जाती है.
-
इसमें कम पानी की जरूरत होती है. 3 से 4 सिंचाई में फसल पक जाती है.
नुकसान
-
इसमें टिलरिंग यानि कल्लों का फुटाव कम रहता है. क्योंकि बाद में पानी देने से मिट्टी की उपरी सतह कड़क हो जाती है. जिससे पौधे को बाहर निकलने में परेशानी आती है.
-
इसकी जड़ का जमाव कम होता है. बालियां आने के बाद जब तेज हवा चलती है तब फसल गिरने लगती है. इससे उपज का नुकसान होता है.
-
धूप तेज होने पर इसके पौधे अचानक से सुखने लगते हैं जिससे उत्पादन का नुकसान होता है.
कौन-सी बोनी करें किसान
जो किसान 15 नवंबर के पहले बोनी कर रहे हैं उन्हें सिंचाई के बाद बुवाई करना चाहिए. इससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिलेगा और फसल का कम नुकसान होगा. वहीं जो किसान 15 नवंबर के बाद बुवाई कर रहे हैं उन्हें सूखे में बोनी करना चाहिए. इससे बोनी ज्यादा पछेती नहीं होगी.