Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 16 December, 2020 5:51 PM IST
गाजर घास/ Congress grass

गाजर घास एक खरपतवार (weed) है, जिसका वैज्ञानिक नाम पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस (Parthenium hysterophorus) है. यह खरपतवार कम्पोजिटी कुल की होती है और हूबहू गाजर (Carrot) पौधों जैसी दिखती है. इसे कैरट ग्रास, कांग्रेस घास (Congress grass) और क्षेत्रीय भाषा में सफेद टोपी चटक चांदणी आदि नामों से भी जाना जाता है. यह एक वर्षीय शाकीय पौधा है, जिसकी लम्बाई लगभग 1.0 से 1.5 मी. तक हो सकती है. हर एक गाजर घास खरपतवार लगभग 1000-5000 बहुत ही छोटे छोटे बीज पैदा करता है. वैसे तो यह घास हर तरह के वातारण में उग जाती है मगर नम और छायादार स्थानों पर अधिक तेजी से उगती है.

गाजर घास से फसलों में नुकसान (Loss in crops due to carrot grass)

बहुत अधिक रूप से गाजर घास खाली स्थानों, बेकार पड़ी भूमियों (Waste land), औद्योगिक क्षेत्रों, सड़क के किनारों, रेलवे लाइनों आदि पर पाई जाती है. इसका प्रकोप फसलों जैसे धान, ज्वार (Sorghum), मक्का, सोयाबीन, मटर तिल, अरण्डी, गन्ना, बाजरा, मूंगफली (Groundnut), सब्जियों एवं उद्यान फसलों में भी देखा जा सकता है. इस खरपतवार से फसलों की पैदावार में लगभग 40 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है. यह घास अनेक हानिकारक रासायनिक तत्व (Chemical elements) भी उत्सर्जित करती है जिससे विभिन्न फसलों के बीजों का अंकुरण (Germination) नहीं हो पाता है.

गाजर घास पशु और मानव शरीर को भी नुकसान पहुंचाती है (Carrot grass also harms animals and human bodies)

गाजर घास न केवल फसलों में बल्कि मनुष्यों और पशुओं के लिए भी एक गम्भीर समस्या का कारण बनी हुई है. इस खरपतवार के लगातार सम्पर्क में आने से मनुष्य को डरमेटाईटिस एल्जिमा (Dermatitis eczema), ऐलर्जी (Allergy), बुखार, दमा (Asthma) जैसी गंभीर रोग हो जाती हैं. पशुओं के लिए यह खरपतवार (Weed) बहुत ही अधिक विषाक्त है. इसके खाने से पशुओं में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं, और दुधारू पशुओं (Milch animals) के दुग्ध में कड़वाहट भी आने लगती है.

गाजर घास से रोकथाम कैसे करें (How to Prevent Congress grass)

इसकी रोकथाम या नियंत्रण यांत्रिक विधि (Mechanical method) द्वारा की जा सकती है. नम जमीन में इस खरपतवार को फूल आने से पहले हाथ से उखाड़कर या खुरपी से हटाकर इकट्ठा करके जला देने से काफी हद तक इसका नियंत्रण किया जा सकता है.

रासायनिक विधि से कैसे करें नियंत्रण (How to control with chemical method)

गाजर घास के रोकथाम के लिए बाजार में उपलब्ध शाकनाशियों का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है. इन खरपतवारनाशी रसायनों में सिमाजिन, एट्राजिन, एलाक्लोर, डाइयूरोन सल्फेट तथा सोडियम क्लोराइड (Salt) प्रमुख है.

  • मक्का, ज्वार, बाजरा, गेहूं, धान, गन्ना, इत्यादि फसलों में प्रभावी नियंत्रण हेतु एट्राजिन (Atrazine) 1.0-1.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर बुवाई के तुरन्त बाद तथा अंकुरण से पूर्व (Before germination) 500 लीटर साफ पानी में घोल कर छिड़काव करें.

  • 2, 4-डी एक किलो प्रति हेक्टेयर बुवाई के 25-30 दिन बाद प्रयोग करें.

  • मेट्रीब्युजिन 500-750 ग्राम को प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करके प्रयोग किया जा सकता है.

  • खाली जमीन में में गाजरघास की किसी भी अवस्था में ग्लाइफोसेट (Glyphosate) 1.0-1.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ स्प्रे करें.

  • सोडियम क्लोराइड 15% तथा अमोनियम सल्फेट 20% का घोल घास के फूल आने तक कभी भी 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर खेतों में एक समान रूप से छिड़काव (Spray) कर देना चाहिए.

जैविक नियंत्रण द्वारा कांग्रेस घास का सफाया (Control of Congress grass by biological method)

इसके सफाए के लिए ऐसे कीटों को रखा जाता है जो गाजर घास को अच्छी तरह नष्ट करने में सक्षम होते हैं, और अन्य उपयोगी फसल या वनस्पतियों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालते. जून से अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में बीटल (Beetle) कीट अधिक सक्रिय रहता है और 1 एकड़ के लिए लगभग 3 से 4 लाख कीटों की आवश्यकता होती है.

केशिया टोरा (Cassia Tora), गेंदा (Marigold), टेफ्रोशिया पर्पूरिया, जंगली चैलाई जैसे कुछ पौधों की बुवाई मानसून से पहले अप्रैल-मई में करने से गाजर घास ग्रसित क्षेत्र का प्रसारण कम होने लगता है.

गाजर घास का उपयोग (Use also Carrot grass)

वैसे तो यह अधिक हानिकारक घास या खरपतवार है, मगर सही प्रबंधन से इसका नियंत्रण और उपयोग किया जा सकता है. जैसे- गाजर घास के पौधे में अनेक प्रकार के औषधिय गुण भी पाये जाते हैं जिनका प्रयोग कीटनाशकों (Insecticides), जीवाणुनाशक एवं खरपतवारनाशक दवाइयों के निर्माण में किया जा सकता है. बायोगैस (Biogas) निर्माण में भी गोबर के साथ इसका प्रयोग किया जा सकता है. पलवार के रूप में इसका जमीन पर आवरण बनाकर प्रयोग करने से दूसरे खरपतवार की वृद्धि में कमी आती है. साथ ही मिट्टी में अपरदन (Soil erosion) एवं पोषक तत्व खत्म होने को भी नियंत्रित किया जा सकता है.

English Summary: What is Carrot grass and how to control it
Published on: 16 December 2020, 06:05 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now