गन्ने की फसल में खरपतवार एक दुश्मन की भूमिका निभाते हैं. इससे फसल का लगभग 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा कम हो सकता है. जब खेत में खरपतवार उगते हैं, तो वहां की भूमि से गन्ने की तुलना में अधिक नाइट्रोजन और फास्फोरस लेते हैं. इस तरह 1 एकड़ में गन्ने की लगभग 80 क्विंटल उपज घट जाती है. खरपतवार के पौधे ऐसे होते हैं, जो खेत में बिना बोए ही निकल आते हैं. यह फसल को बहुत पहुंचाते हैं. इनसे खेत में उपयोग होने वाले कृषि यंत्रों को भी काफी नुकसान पहुंचता है.
गन्ने की फसल को ऐसे होता है नुकसान
गन्ने की 2 पंक्तियों के बीच की दूरी अन्य फसलों की तुलना में अधिक होती है. इस कारण फसल में अधिक खरपतवार निकलते हैं. किसान खेत में जिन उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, यह उसका पूरा फयादा उठाते हैं. इसके साथ ही फसल के विकास के लिए सूर्य की रोशनी ज़रूरी होती है. इसका भी खरपतवार इस्तेमाल करते हैं. इस कारण खेत हरा-भरा दिखाई देता है, लेकिन खरपतवार चौड़ी पत्ती, पतली और संकरी पत्तियों पर प्रकोप करता है. कुछ खरपतवार गन्ने के साथ बढ़ जाते हैं औऱ पूरी फसल को पूरी को चपेट में ले लेते गैं. गन्ने की फसल को खरपतवार कब कितना नुकसान पहुंचा देते हैं, इसका पता किसान को चल ही नहीं पाता है. अधिकतर किसान फसल में कीट और रोग लगने का नियंत्रण करते हैं, लेकिन खरपतवार नियंत्रण पर बहुत कम ध्यान देते हैं, जो कि फसल के लिए हानिकारक साबित होता है.
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गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण
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किसानों को अपने खेत में फसलों की बुवाई बदलकर करनी चाहिए.
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गन्ने की बाद गेहूं, गेहूं के बार ढैंचा, इसके बाद धान और फिर गन्ने की बुवाई करनी चाहिए.
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फसल चक्र अपनाना चाहिए, इससे खरपतवार पर काबू पाया जा सकता है.
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गर्मी के मौसम में गन्ने की 2 पंक्तियों के बीच देसी हल, फावड़ा, कल्टीवेटर या फिर रोटावेटर से गुड़ाई करनी चाहिए.
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जब पौधा छोटा हो, तब गन्ने की 2 पंक्तियों के बीच आलू, लहसुन, प्याज, भिंडी, टमाटर, गोभी, मटर आदि की सह फसली खेती करनी चाहिए.
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इसके अलावा उर्द, मूंग, लोबिया और भिंडी की खेती भी कर सकते हैं.
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गन्ने की 2 पंक्तियों के बीच गन्ने की सूखी पत्ती बिछा दें. इससे खरपतवार नहीं निकलते हैं.
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किसान विशेष स्थिति में किसी खरपतवार नाशक रसायन का छिड़काव भी कर सकते हैं.
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