Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 12 April, 2019 10:39 AM IST

तरबूज ग्रीष्म ऋतु का महत्वपूर्ण फल है. यह बाहर हरे रंग और अंदर से लाल रंग का होता है. तरबूज का पानी स्वाद से भरपूर होता है. यह फसल आमतौर पर गर्मी आने पर तैयार हो जाती है. सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह गर्मी के मौसम में रक्तचाप को संतुलित करने में सहयोग करती है और कई बीमारियां दूर करता है. तो आइए जानते है इसकी खेती के बारे-

भूमि

अगर आप तरबूज की फसल खेती लिए उचित जल निकास वाली बुलई दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है. इस मृदा का पीएच मान 6-7 तक होना चाहिए. नदियों के कछार में इन फसलों की खेती कर दी जाती है.

तैयारी

तरबूज की फसल लिए विशेष तैयारी की जाती है. तरबूज को गडढ़ों में लगाया जाता है. इनके गडढे को बनाने से पूर्व खेत में दो बार हल, डिस्क आदि को चलाकर भूमि को अच्छी तरह से भुरभुरी बना लेते है.

खाद और उर्वरक

तरबूज के लिए 250-300 क्विटल गोबर की खाद, 60-80 किलोग्राम और 50 किलोग्राम पोटाश,1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए आवश्यक होता है. गोबर की खाद, कंपोस्ट, पोटाश, की नाइट्रोजन की मात्रा बोने के पहले दें. बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा बोने से 25 से 45 दिनों बाद दें.

सिंचाई

ग्रीष्म ऋतु की फसल होने के कारण एवं बलुई दोमट मृदा में उगाई जाने के कारण कम अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है. नदी के किनारे लगाई गई फसल के किनारे पौधों के स्थापित होने तक ही सिंचाई की आवश्यकता होती है.

नींदा नियंत्रण

जब तरबूज की फसल छोटी हो तो अच्छी तरह से गुड़ाई करके खेत से खरपतवार निकाल दें. बेले बढ़ जाने पर खरपतवारों की बढ़ोतरी रूक जाती है. नींदा के नियंत्रण के लिए एलाक्योर 50 ईसी 2 लीटर सक्रिय तत्व या ब्लटाक्योर 2 सीटर सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर दर से बोनी के बाद एवं अकुंरण पहले छिड़काव करके मृदा में मिला दें.

फलों की तुड़ाई

तरबूज के फलों को सही अवस्था में तोड़ा जाना चाहिए. इसकी पहचान निम्न तरीके सें करें-

फलों को अंगुलियों पीटने पर से धप-धप की आवाज निकलें और डाल सूख जाए.

फल का पौधा जो कि भूमि में रहता है यदि सफेद से पीला हो जाए तो पल पका समझें.

यदि फल को तेजी से दबाने पर वह दब जाए और हाथों को ताकत न लगानी पड़ें तो समझें यह पक गया है.

हार्मोंन उपचार

तरबूज की फसल पर हार्मोंन का ध्यान रखें. पौंधों पर दो एवं चार पत्तियों की अवस्था पर इथ्रेल के 250 पीपी एम साध्रता का छिड़काव करें. प्रत्येक किस्म के पकने का समय अलग-अलग होता है. साधारण रूप से सामान्य फसल लगने में 30-35 दिन लगते है. तुड़ाई के समय फल में करीब 4-5 सेमी डंठल के लगे रहने से सड़ने जैसी समस्या नहीं होती है.

English Summary: Watermelon crop gets better in summer by joining health
Published on: 12 April 2019, 10:44 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now