सब्जियों की मांग मौसम के अनुसार बदलती रहती है. ऐसे में अगर आप सब्जियों की खेती कर बढ़िया लाभ कमाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मौसम के अनुसार बाजार में सब्जियों की मांग को समझना होगा. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अक्टूबर महीने में बोई गई सब्जियों की मांग अगले एक से दो महीने में काफी ज्यादा रहती है और किसानों को बढ़िया रेट मिल जाता है. किसान भाइयों को बता दें कि इस समय आप ब्रोकोली, मटर, प्याज, फूलगोभी, और पालक की खेती कर बाजार से अच्छा फायदा कमा सकते हैं. ऐसे में आइए इन सब्जियों की खेती का तरीका समझते हैं-
अक्टूबर माह में सब्जियों की खेती
प्याज की खेती (Onion farming)
प्याज की खेती लाल दोमट व काली मिट्टी में सबसे बढ़िया होती है. इन मिट्टियों में अच्छी तरह से जल निकासी की सुविधा होती है. मिट्टी में अधिक अम्लीय और क्षारीय पन प्याज की खेती पर असर डालता है. आपको प्याज लगाने से पूर्व मिट्टी की जांच अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जाकर करान लेना चाहिए.
ब्रोकली की खेती (Broccoli cultivation)
भारत में ब्रोकली की खेती ज्यादातर सितंबर के महीने में की जाती है. सर्दियों में इसकी मांग काफी ज्यादा रहती है. ऐसे में अगर किसान भाई ब्रोकली की खेती अपनाते हैं तो यह आपके लिए एक बेहतरीन फायदे का सौदा हो सकता है. इसकी खेती के लिए 5 से 6 घंटे रोशनी की जरुरत होती है और यह अगले महीने के अंत तक पूरी तरह से तैयार हो जाती है.
फूलगोभी की खेती ( Cauliflower farming)
फूलगोभी की खेती भी सितंबर और अक्टूबर महीने में बड़े स्तर पर की जाती है. इसके लिए अच्छी जल निकास वाली दोमट या बलुई मिट्टी की जरुरत होती है. इसकी खेती के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करने के लिए 3 से 4 बार जुताई कर पाटा मारकर समतल कर देना चाहिए.
मटर की खेती (Pea Farming)
आजकल फ्रोजन मटर की मांग बाजार में काफी ज्यादा है. यह एक से दो महीने में तैयार हो जाती है और सर्दियों में इसकी मांग होने से आप बेहतर कमाई कर सकते हैं. मटर की खेती के लिए खेत में नमी की जरुरत होती ह और बारिश वाले स्थानों पर इसकी खेती की बिल्कुल ही ना करें क्योंंकि बारिश होने से मिट्टी सख्त हो जाती है और इस पर पौधे उगने की संभावना बिल्कुल ही खत्म हो जाती है.
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पालक की खेती (Spinach farming)
पत्तेदार सब्जी पालक की औषधीय गुण के कारण इसकी मांग बहुत ज्यादा होती है. पालक को एक बार लगाने के बाद इसकी कटाई कई बार की जा सकती है और इसको तैयार होने में भी काफी कम समय लगता है. इसकी खेती के लिए हल्के सर्द के मौसम की जरुरत होती है. किसान इसके बेहतर उत्पादन के लिए ऑलग्रीन, पूसा, पूसा हरित और पूसा ज्योति जैसी पालक के किस्मों की खेती कर सकते हैं.