जल ही जीवन है इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है. जल के बिना धरती के किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है. हमारी धरती पर वैसे तो 70% जल है लेकिन मनुष्य, वन्य जीव और जानवरों के पीने लायक केवल 3 % ही जल है, जो कि हमें भूमिगत, नदियों, तालाबों और वर्षा के पानी से उपलब्ध होता है.
इसलिए हमें जितना हो सके उतना जल संरक्षण करना चाहिए. ये तो सर्वविदित है कि गेहूं और धान दो फसलें ऐसी हैं, जिनमें पानी की अत्याधिक आवश्यकता होती है. वहीं दूसरी तरफ लगातार घटता जल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में इन सब स्थितियों को देखकर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी किस्म ईजाद की है, जो महज दो बार पानी लगाने पर ही अच्छी पैदावार देगी.
गौरतलब है कि गेहूं की विभिन्न क़िस्मों में किसान चार से पांच बार खेतों में पानी देते हैं. जिस वजह से लागत बढ़ जाती है, और तो और जिस जगह पर पानी की सुविधा नहीं होती है वहां पर गेहूं की खेती के लिए किसानों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन्हीं सभी दिक्कतों के मद्देनजर एचएयू के गेहूं व जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म डब्ल्यू एच 1142 को विकसित किया है. खबरों के मुताबिक गेहूं के इस किस्म को बनाया ही ऐसा गया है कि कम पानी और खाद की आवश्यकता हो.
खबरों के मुताबिक गेहूं की नवीनतम किस्म डब्ल्यू एच 1142 को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड के किसान बुवाई हेतु इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ विश्वविद्यालय की कोशिश है कि ऐसी किस्में तैयार की जाएं जिनमें कम से कम पानी लगे. धान की खेती के लिए भी ऐसे ही बीजों को विकसित करने के लिए प्रयोग किया जा रहा हैं.
गेहूं की नवीनतम किस्म डब्ल्यू एच 1142 की विशेषताएं (Features of WH 1142 latest variety of wheat)
-
गेहूं की यह नवीनतम किस्म एक मध्यम बौनी किस्म है इसकी औसत ऊंचाई 102 सेंटीमीटर होती है.
-
इसके पौधे सघन व अधिक फुटाव वाले होते हैं.
-
गेहूं की इस नवीनतम किस्म की फसल गिरती नहीं है. यह सूखा भी अधिक से अधिक झेलने की शक्ति रखती है.
-
इसकी बालियां मध्यम लंबी व सफेद रंग की होती हैं.
-
इसमें 12.1 फीसद प्रोटीन, 80 पीपीएम बीटा कैरोटीन, 36.4 आयरन, 33.7 पीपीएम जिंक मौजूद है. इसके साथ ही इस किस्म में भूरा व पीला रतुआ अन्य किस्मों की अपेक्षा कम होता है.
भूमि से पोषक तत्व खींचने की क्षमता
गेहूं की नवीनतम किस्म डब्ल्यू एच 1142 की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे लगाने के बाद यह जमीन से पोषक तत्वों को स्वत: ही खींचती है. इसमें 105 दिन में कलियां खिल आती हैं, इसके साथ ही 154 दिन में पककर तैयार भी हो जाती है. पकने पर बालियों का रंग सफेद ही रहता है.
बीज और खाद की मात्रा (Seed and manure quantity)
गेहूं की नवीनतम किस्म डब्ल्यू एच 1142 को बोने के लिए 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर का पहला सप्ताह में बिजाई, इसमें 36 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस, 16 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ खाद डाली जाती है.
गेहूं की विभिन्न किस्मों की अधिकतम पैदावार (Maximum yield of different varieties of wheat)
सी 306- 35 मन
डब्ल्यूएच 1080- 44.6 मन
एचडी 3043- 45.9 मन
पीबी डब्ल्यू 644- 45.7 मन
डब्ल्यू एच 1142- 62.5 मन