केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प बिहार की लीची है अद्भुत! वैज्ञानिक रिसर्च से बढ़ेगी शेल्फ लाइफ: केंद्रीय कृषि मंत्री खुशखबरी! किसानों को इन फलों की खेती पर राज्य सरकार देगी 80,000 रुपए अनुदान, जानिए पूरी योजना किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 17 October, 2020 5:31 PM IST
Mustard Cultivation

भारत में सरसों एक प्रमुख तिलहनी फसल है जो रबी के मौसम में सीजन में बोई जाती है. अन्य फसलों की तुलना में सरसों की खेती में कम सिंचाई और कम लागत की जरूरत पड़ती है. वहीं इससे लाभ भी अच्छा मिलता है. 

आज हम आपको सरसों की नई और उन्नतशील किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसकी खेती करके किसान अन्य किस्मों की तुलना में सरसों की दौगुनी पैदावार ले सकते हैं. तो आइये जानते हैं उत्तर प्रदेश के नगीना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह से इस किस्म की खासियत और इसकी खेती का सही तरीका

सरसों की इस किस्म की खासियत (The specialty of this variety of mustard)

कृषि जागरण से बात करते हुए डॉ नरेन्द्र सिंह ने बताया कि ''सरसों की उन्नत किस्म ‘पूसा डबल जीरो सरसों 31’ किस्म की खेती किया है. जिसे नई दिल्ली स्थित पूसा संस्थान ने 2017 में जारी किया था. जो कि स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर किस्म है.

कैसे करें सरसों के खेत की तैयारी (How to prepare mustard field)

सरसों की पूसा 31 किस्म की बुवाई के लिए सबसे पहले एक बार सामान्य जुताई करना चाहिए. इसके बाद दो जुताई हैरो से 1 जुताई रोटीवेटर से करना चाहिए. 

सरसों की फसल के लिए खाद और उर्वरक (Manure and Fertilizer for Mustard Crop)

डॉ सिंह का कहना है कि इस किस्म की अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ नाइट्रोजन 60 किलो, फास्फोरस 40 किलो, पोटाश 20 किलो के अतिरिक्त 14 से 16 किलो सल्फर भी डालना चाहिए.

सरसों की खेती के लिए समय और बीज मात्रा (Time and seed quantity for mustard cultivation)

इसके लिए प्रति एकड़ 2 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है. वहीं बुवाई से पहले बीजों को अनुशंसित दवाई बीजोपचार कर लेना चाहिए. इसकी बुवाई अक्टूबर माह के अंत तक देना चाहिए. इसकी बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर, पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर होना चाहिए. वहीं बीज को मिट्टी के अंदर 2-3 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए. 

सरसों की फसल के लिए निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई (Weeding and irrigation for mustard crop)

 अन्य फसलों की इसकी भी समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए. वहीं इसमें 2-3 सिंचाई करने की आवश्यकता पड़ती है.

सरसों की यह किस्म 140 दिनों में पक जाती है. उपज की बात करें तो प्रति एकड़ 5 से 10 क्विंटल तक ली जा सकती है.

संपर्क (Contact)

अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह से इस नंबर पर बात कर सकते हैं.

मोबाइल नंबर : 94571-68051 

English Summary: variety of pusa 31 mustard will get rid of cholesterol farmer income will also be doubled
Published on: 17 October 2020, 05:38 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now