मध्यप्रदेश के किसानों के लिए गेहूं की कई ऐसी किस्में विकसित की गई हैं, जिससे फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है. यह एक ऐसी किस्म है, जिससे तेज गर्मी में भी फसल झुलसेगी नहीं और न ही उस पर कीट व्याधि प्रकोप का असर होगा.
इतना हीं नहीं, गेहूं का पौधा आंधी आने के बाद भी झुकेगा नहीं. खास बात है कि इसका उत्पादन अन्य किस्मों की तुलना में 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ेगा. दावा किया गया है इस किस्म को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता द्वारा विकसित किया गया है, जिसको जेडब्ल्यू (एमपी) 3288 किस्म के नाम से जाना जाता है.
गेहूं की जेडब्ल्यू (एमपी) 3288 किस्म (JW (MP) 3288 Variety of Wheat)
यह किस्म 110 दिन में फसल तैयार कर देती है, जिससे लगभग 55 से 65 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हो सकती है. सामान्य तौर पर गेहूं की फसल को पकने के लिए 120 दिन लगते हैं. मगर जेडब्ल्यू (एमपी) 3288 किस्म में एक खासियत है कि इस किस्म की फसल तेज हवा-आंधी आने पर भी झुकती नहीं है.
गेहूं की एमपी 3382 किस्म (MP 3382 Variety of Wheat)
इसके अलावा गेहूं में मुख्य रूप से पीला रतुआ, गेरूआ रोग और काला कंडुआ रोग का प्रकोप हो जाता है. यह रोग फफूंद के रूप में फैलता है. जब तापमान में वृद्धि होती है, तो गेहूं को पीला रतुआ रोग लग जाता है, जिससे गेहूं की उपज काफी प्रभावित होती है.
यह रोग कृषि वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बन गया है, इसलिए कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ने गेहूं की एमपी 3382 किस्म विकसित की है, जो 110 दिन में फसल को पककर तैयार हो जाती है. यह एक तापमान रोधी किस्म मानी गई है. अगर कोई किसान इन किस्म को खरीदना चाहते हैं, तो वह जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र पर पहुंचकर बीज ले सकते हैं.