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Updated on: 30 November, 2019 11:49 AM IST
Wheat

नवंबर माह समाप्त होने वाला है जो किसान भाई अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं है वो किसान भाई इसकी बुवाई का कार्य तेजी से कर रहे है. गौरतलब है कि गेहूं की अगेती बुवाई का कार्य 1 से 25 नवंबर तक होता हैं, इसके बाद से गेहूं की पछेती बुवाई होती है. 

ऐसे में जो किसान भाई अभीतक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाएं है वो देरी से गेहूं की बुवाई वाली किस्मों का प्रयोग करें, क्योंकि मौजूदा वक्त में कई किस्म ऐसी हैं जिनका देरी से बुवाई  करने के बाद भी उत्पादन कम प्रभावित होता है. आमतौर पर देरी से बुवाई की परिस्थितियों में भी अधिकतर किसान सामान्य किस्मों की ही बुवाई करते हैं. नतीजतन उत्पादकता में कम रह जाती है और अगेती एवं पछेती किस्मों का उपज अंतर 25 से 30 प्रतिशत रह जाता है. क्योंकि दाना भरने के समय 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने से फसल में दाना ठीक से नहीं भर पाता. ऐसी स्थिति में अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान भाइयों को गेहूं की पछेती बुवाई हेतु अनुमोदित किस्मों को ही बोना चाहिए-

नरेन्द्र गेहूं  1076 (Narendra Wheat 1076 )

गेहूं  की ये एक पछेती किस्म हैं. जिसको सिंचित जगहों पर देरी से बुवाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज बुवाई के लगभग 100 से 115 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधे लगभग तीन फीट लम्बे होते हैं. इसकी प्रति हेक्टेयर उपज 35 से 40 क्विंटल तक होती है.

सोनाली एच पी 1633 (Sonali HP 1633 )

गेहूं की ये एक पछेती किस्म है. जिसको सिंचित जगहों पर देरी से बुवाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधों की लम्बाई चार फिट के आसपास पाई जाती है. जिनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 35 से 40 क्विंटल तक पाया जाता है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के लगभग 120 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं.

यूपी 2425 (UP 2425 )

गेहूं की इस किस्म को उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता जाता है. जिसको सिंचित जगहों पर देरी से बुवाई के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज बुवाई के 126 से 134 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं. जिनका प्रति हेक्टेयर उपज 36 से 40 क्विंटल तक पाया जाता है.

एच. डी. – 2888 (HD–2888)

गेहूं की ये एक पछेती किस्म है. जिसको असिंचित जगहों पर देरी से उगाने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के 120 से 130 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते है. जिनकी लम्बाई तीन फिट के आसपास पाई जाती है. इस किस्म के पौधों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 30 से 40 क्विंटल तक पाया जाता है. गेहूं का यह किस्म रतुआ रोगरोधी है.

वी.एल.गेहूं 892 (VL Gehun 892)

यह किस्म निचले एवं  मध्यवर्ती क्षेत्रों में सीमीत सिचाई के लिए अनुमोदित की गई है. यह मघ्यम ऊंचाई वाली किस्म 140-145 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है. यह पीले एवं  भूरे रतुए रेाग की प्रतिरोधी है. इसके दाने शरवती व कठोर है और इनके अच्छी चपाती बनती है इस किस्म कि औसत उपज 30-35 क्विटल/हेक्टेयर है.

एच.एस 490 (HS 490)

यह मध्यम ऊंचाई वाली किस्म निचले मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में सीमीत सिचाई के लिए अनुमोदित की गई है. इसके दाने मोटे सफ़ेद शरबती एवं  अर्ध कठोर होते है. यह किस्म बिस्कुट बनाने के लिए उपयुक्त है. तथा इसकी चपाती भी अच्छी बनती है. यह किस्म 150 दिनो में पक कर तैयार हो जाती है. और इसकी औसत उपज लगभग 30 क्विटल /हेक्टेयर है.

हिम पालम गेहूं- 3 (Him Palam Wheat 3)

गेहूं की अधिक उपज देने वाली नई किस्म है यह पीला एवं  भूरा रतुआ प्यूजेरियम हेडब्लाईट और ध्वज कंड बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म को हिमाचल प्रदेश के मध्य निचले पर्वतीय निचले क्षेत्रों  में बरानी परिस्थितियों में पिछती बुवाई के लिए उपयुक्त पाया गया है. हिम पालम गेहूं औसतन 25-30 क्विटल हैक्टेयर उपज देती है. इसके दाने मोटे और सुनहरी रंग के होते है. तथा इसमें अच्छी चपाती बनाने की गुणवत्ता पाई गयी है. इस पर झुकी हुई बालियों से की जा सकती है. एच.पी डब्लू 373 पूर्व अनुमादित किस्म एच.एस 490 के लिए एक बेहतर विकल्प तथा वी.एल 892 के लिए प्रतिस्थापना है.

English Summary: Varieties of wheat for delayed Sow these varieties for late sowing of wheat, will not have any effect on production
Published on: 30 November 2019, 11:57 AM IST

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