सागरिका एक समुद्री जैविक उत्पाद है जो सभी फसलों की उत्पादकता को बढ़ाता है यह भारत के मुख्यतः पूर्वी तटों पर समुद्री जल में उगने वाला लाल और भूरे रंग के शैवालो से प्राप्त किया जाता है सागरिका में पोषक तत्व विटामिन एंजाइम्स और पौधों की वृद्धि हार्माेन जैसे ऑक्सिन, साइटोकाइनिन, जिब्रेलिन, बेटन और मैनिटोल आदि पाया जाता है जो पौधों की वृद्धि में सहायता प्रदान करता है इस प्रकार से अब किसानों को केवल रसायनिक उर्वरकों पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना पड़ेगा. जैविक खाद के प्रयोग से फसलों में वृद्धि अच्छी होती है और साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है यह जैविक खाद बाजार में तरल एवं ठोस दोनों प्रकार में उपलब्ध है.
सागरिका उत्पाद का विवरण (संघटक)
यह जल में घुलन शील पदार्थ 28: ;भार/भारद्ध समुद्री शैवाल का एक्सट्रेक्ट है. जिसमें प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट और अकार्बनिक खनिज लवण विटामिन प्राप्त हार्माेन जैसे विंटेज मैनिटोल और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
संघटक |
मात्रा |
ठोस घुलनशील पदार्थ (खनिज लवण, कार्बाेहाइड्रेट, अमीनो एसिड) |
28: (भार/भार) |
पौध वृद्धि संवर्धक (उत्प्रेरक) |
400 - 600 पी.पी.एम |
साइटोकाइनिन |
200 - 400 पी.पी.एम |
जिब्रेलिन |
50 - 60 पी.पी.एम |
मुख्य पोषक तत्व |
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नाइट्रोजन |
0.23 प्रतिशत |
फॉस्फोरस |
0.11 प्रतिशत |
पोटेशियम |
13 प्रतिशत |
कैल्सियम |
0.16 प्रतिशत |
मैग्निसियम |
0.35 प्रतिशत |
सल्फर |
0.15 प्रतिशत |
सूक्ष्म पोषक तत्व |
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कॉपर |
50 - 70 पी.पी.एम |
जिंक |
5 -12 पी.पी.एम |
मैंगनीज |
15-20 पी.पी.एम |
आयरन |
2-300 पी.पी.एम |
बोरॉन |
30-45 पी.पी.एम |
उपयोगी फसलें
इस खाद का प्रयोग सभी प्रकार के धान्य फसलों, दलहन. तिलहन, फल वाली फसलें, सब्जियां चीनी और रेशे वाली फसलों बागवानी वाले फसलों एवं औषधीय फसलों के लिए उपयोगी माना गया है।
प्रयोग की विधि
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इस तरल जैविक उत्पाद का छिड़काव सुबह के समय करना चाहिए जब ओस की बूंदे ना हो तब पहला छिड़काव पौधों के रोपाई के या कल्ले निकलते समय हमें करना चाहिए.
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इस तरल जैविक खाद का दूसरा छिड़काव फूल आने से पहले हमें करना चाहिए और तीसरा छिड़काव दाना बनने से पहले कर देना चाहिए इससे फसलों में पैदावार के साथ-साथ गुणवत्ता बढ़ती है.
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भूमि मे उपयोग करने के लिए सागरिका दानेदार जैविक खाद का प्रयोग ८ से १० किग्रा0 प्रति एकड़ के हिसाब से फसल बुवाई के पूर्व करना चाहिए.
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इस खाद का प्रयोग यदि हमे बागवानी वालें फसलों में करना हो तो पौधं अथवा वृक्ष से उचित दूरी पर वलय विधि से करना चाहिए
प्रयोग से फसलों एवं मृदा में लाभ
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सागरिका एक सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद है इसका प्रयोग से पौधों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है.
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यह सभी प्रकार की कृषि फसल के लिए उपर्युक्त जैविक उत्पाद है.
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सागरिका उपापचय वृद्धि कारक है जो फसलों की बढ़ोतरी एवं विकास में मदद करता है.
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सागरिका फसल की पैदावार को बढ़ाता है एवं पौधों को संपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करता है जिसके परिणाम स्वरूप पौधों की बढ़वार, जड़, तने, फल और फूलों में वृद्धि होती हैं.
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सागरिका के प्रयोग से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि होती है जो मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों को विघटित करके पौधों की जड़ो तक पहुँचाता हैं जिससे कि मिट्टी की उर्वरता शक्ति बनी रहती है.
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सागरिका फसल की शारीरिक दक्षता को बढ़ाता है जिससे पौधे मिट्टी से अधिक पोषक तत्वों को अवशोषण करते हैं.
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यह पौधों एवं फसलो के फल फूल व सब्जियों के आकार रंग रूप एवं स्वाद की गुणवत्ता को बढ़ाता हैं और साथ में ही विभिन्न प्रकार के तनाव एवं रोग कीट के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं.
निष्कर्ष
सागरिका का एक जैविक उत्पाद है और इसके प्रयोग से पौधों में वृद्धि में बढ़त एवं मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है इस प्रकार हम रसायनिक खेती के प्रभाव को जैविक उत्पादों की सहायता से कम कर सकते हैं.
लेखक:
अजय बाबू1, डॉ. मनीष कुमार मौर्या2, डॉ. पी.के. मिश्र3 एवं डाॅ. विशाल कुमार4
1विषय वस्तु विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान), 2 विषय वस्तु विशेषज्ञ (फसल सुरक्षा), 3प्रभारी
कृषि विज्ञान केंद्र, मनकापुर, गोंडा (उ.प्र.) 271302
4सहायक प्राध्यापक, महात्मा गाँधी काशी विद्या पीठ, वाराणसी (उ.प्र.) 221002
ईमेल आईडी- vishal29194@gmail.com
मोबाइल नंबर- 9453271832