हल्दी भारतीय वनस्पति है. इसको आयुर्वेद में प्राचीनकाल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है. भारतीय रसोई में इसका महत्वपूर्ण स्थान है और धार्मिक रूप से इसको बहुत शुभ समझा जाता है. साथ ही हल्दी का उपयोग इस कोरोना महामारी से लड़ने में भी बहुत सहयक साबित हो रहा है, हल्दी के नियमित ( सेवन) प्रयोग से कई प्रकार के शारीरिक लाभ होता है, यह एक चामत्कारिक पौधा/कंद है जो हम सब के बीच में उपलब्ध है. जरुरत है, मात्र इसके औषधिय गुणों एवं प्रयोग को जानने की-
हल्दी अदरक की प्रजाति का 5-6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है, जिसके राइजोम या प्रकन्द को हल्दी के रूप में प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद में इसे हरिद्रा,क्रिमिघ्ना, गौरी वरणार्णिनी, योशितप्रिया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम आदि नाम से जाना जाता है. धार्मिक रूप से इसको बहुत ही शुभ माना जाता है. हल्दी का पीला रंग कुरकुमिन के कारण होता है. कुरकुमिन सूजन को कम करने वाला तथा कैंसर प्रतिरोधक है. इसमें पाये जाने वाले टैनिन के कारण इसमें प्रतिजीवाणुक गुण पाये जाते हैं. हल्दी पाचन तंत्र की समस्याओं, गठिया, रक्त प्रवाह की समस्याओं, कैंसर, जीवाणुओं का संक्रमण, उच्च रक्त चाप, कोलेस्ट्रल की समस्या एवं शरीर में कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में लाभकारी है.
हल्दी पित्त शामक, त्वचा रोग, यकृत रोग, कृमि रोग, भूख न लगना, गर्भाशय रोग, मूत्र रोग में भी अति लाभकारी है. हल्दी में उड़नशील तेल 5.8% प्रोटीन 6.3%, द्रव्य 5.1%, खनिज द्रव्य 3.5%, और कार्बोहाईड्रेट 68.4% के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, विटामिन पाए जाते हैं. हल्दी कि एक किस्म काली हल्दी के रूप में भी होती है. उपचार में काली हल्दी पीली हल्दी के मुकाबले अधिक लाभकारी होती है.
आयुर्वेद में इसका उपयोग मतिभ्रम के दुष्प्रभावों को कम करने के लिये किया जाता है. इसकी जड़ों का उपयोग मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र व पाचन विकारों के उपाय के रूप में किया जाता है. बाह्यरूप से इसका इस्तेमाल त्वचा के रोगों, आमवाती दर्द और नसों के दर्द के इलाज के लिये किया जाता है. होम्योपैथिक उपचार हेतु इसकी जड़ों का प्रयोग पेट फूलने, अपच, आहार व पित्ताशय के विकारों के लिये किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसके प्रकन्दों को वातहर और कृमिनाशक गुण का अधिकारी माना जाता है और इसका उपयोग कई प्रकार के विकारों जैसे मिर्गी और मानसिक रोगों को ठीक करने के लिये होता है. इसका तेल सौन्दर्य प्रसाधन, इत्र उद्योग और कीटनाशकों में भी प्रयोग किया जाता है.
हल्दी के स्वास्थ्य लाभ : हल्दी न केवल एक मसाला है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं. सौंदर्य प्रसाधनों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. त्वचा, पेट और आघात आदि से उबरने में हल्दी अत्यंत उपयोगी होती है.
लीवर संबंधी समस्याओं में लाभकारीः लीवर की तकलीफों से निजात पाने के लिए हल्दी बेहद उपयोगी होती है. यह रक्त दोष दूर करती है. हल्दी नैसर्गिक तौर पर ऐसे एन्जाइम्स का उत्पादन बढ़ाती है, जिससे लीवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है.
दाग-धब्बों से छुटकाराः दाग-धब्बे और झाईयां हटाने में हल्दी का कोई सानी नहीं. हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचा साफ और निखरी हो जाती है. हल्दी और दूध से बना पेस्ट भी त्वचा का रंग निखारने और चेहरे को खिला-खिला रखने के लिए बहुत असरदार होता हैं.
मजबूत इम्यून सिस्टमः हल्दी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करती है. इससे शरीर कई बीमारियों से बचा रहता है. हल्दी में पाया जाने वाला लिपोपोलिसेकराईड तत्व हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है, साथ ही इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण भी विशेष रूप से पाए जाते हैं.
दूर करें सनबर्नः हल्दी सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है. अगर धूप के कारण आपकी त्वचा में टैनिंग हो गई है तो टैन से निजात पाने के लिए बादाम पेस्ट, हल्दी व दही मिलाकर उसे त्वचा पर लगाकर छोड़ दें और फिर पानी से धो लें. इससे टैनिंग मिट जाएगी व त्वचा में निखार भी आएगा.
संक्रमण से बचाएं: हल्दी में पाया जाने वाले करक्यूमिन नामक तत्व के कारण कैथेलिसाइडिन एंटी माइक्रोबियल पेप्टाइड (सीएएमपी) नामक प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है. सी.ए.एम.पी. प्रोटीन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. यह प्रोटीन बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करता है.
पेट की समस्याओं में लाभकारीः मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली हल्दी का सही मात्रा में प्रयोग पेट में जलन एवं अल्सर की समस्या को दूर करने में बहुत ही लाभकारी होता है. हल्दी का पीला रंग कुरकमिन नामक अवयव के कारण होता है और यही चिकित्सा में प्रभावी होता है. चिकित्सा क्षेत्र के मुताबिक कुरकमिन पेट की बीमारियों जैसे जलन एवं अल्सर में काफी प्रभावी रहा है.
दंत रोगों में गुणकारीः दांतों को स्वस्थ और मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए हल्दी का प्रयोग करें. इसके लिए थोड़ी सी हल्दी, नमक और सरसों का तेल लेकर मिला लें. अब इस मिश्रण से दांतों और मसूड़ों में अच्छे से मसाज करें. इससे सूजन दूर होती है और दांत के कीड़े खत्म हो जाते हैं.
अंदरूनी चोट में सहायकः चोट लगने पर हल्दी बहुत फायदा करती है. मांसपेशियों में खिंचाव होने पर या अंदरूनी चोट लगने पर हल्दी मिल गर्म दूध पीने से दर्द और सूजन में तुरन्त राहत मिलती है. चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से भी आराम मिलता है.
खांसी में राहतः खांसी में हल्दी की गांठ का इस्तेमा करें. अगर एकदम से खांसी आने लगे तो हल्दी की एक छोटी सी गांठ मुंह में रखकर चूसें, इससे खांसी नहीं आएगी. खांसी के साथ कफ की समस्या होने पर एक गिलास गर्म दूध में एक-चैथाई चम्मच हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है.
कोरोना वायरसः हल्दी का करें इस तरह सेवन इम्यूनिटी सिस्टम होगा मजबूतः इम्युनिटी सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली तमाम बैक्टीरिया और वायरस से शरीर की रक्षा करती है, जिससे इंसान के बीमार पड़ने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है. स्वास्थ्य ही संपदा है, और हमें इसका ख्याल बखूबी रखना चाहिए. वर्तमान समय में इसका ध्यान रखना और भी जरूरी है, जब पूरी दुनिया घातक कोरोना वायरस से प्रभावित है.
इम्युनिटी सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली तमाम बैक्टीरिया और वायरस से शरीर की रक्षा करती है, जिससे इंसान के बीमार पड़ने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है. इम्युनिटी सिस्टम के कमजोर होने पर ही इंसान कोरोना वायरस सहित तमाम महामारियों के संपर्क में जल्दी आ जाता है.
अपने इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हमें प्राचीन भारतीय नुस्खों पर गौर फरमाना चाहिए. ऐसे में हल्दी से बेहतर और भला क्या हो सकता है. हल्दी में करक्यूमिन नामक एक तत्व मौजूद है, जिसके चलते यह एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी सेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल गुणों से समृद्ध है. हल्दी के इन्हीं लाभों को पाने के लिए खाना बनाते समय या रात को सोने से पहले गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी का सेवन जरूर करें.
हल्दी से सर्दी-खांसी, सांस लेने से संबंधित बीमारियां, ऊपरी श्वसन पथ में संक्रमण या इससे संबंधित बीमारियां, वायरल बुखार जैसी कई समस्याओं से निजात पाया जा सकता है. इससे ज्वलन में भी कमी आती है.
लेखक: उत्तम कुमार त्रिपाठी, राजेन्द्र सिंह नेगी, हेमराज द्विवेदी
वैज्ञानिक कृषि प्रसार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, वैज्ञानिक खाद्य प्रसंकरण
दीनदयाल शोध संस्थान, कृषि विज्ञानं केंद्र मझगवां सतना (मध्य प्रदेश)