खुबानी..जो एक गुठलीदार फल है. कई प्रकार के विटामिन और फाइबर से भी भरपूर है. बाजार में डिमांड भी ज्यादा रहती है, ऐसे में खेती मुनाफेमंद भी हो सकती है. भारत में खुबानी को चोले नाम से भी जानते हैं, खुबानी को आलू बुखार और आडू प्रजाति का फल कहते हैं इसके फलों में पाया जाने वाला बीज बादाम की तरह होता है. सूखे खुबानी को शुष्क मेवा के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. इसके ताजे फलों से जूस, जैम और जैली बनाई जाती है साथ ही इसकी चटनी भी बनती है. आईये जानते हैं खेती का तरीका...
सहायक मिट्टी और जलवायु-
पौधों को उचित जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है, बलुई दोमट मिट्टी भी खेती के लिए उपयुक्त है, भूमि का Ph मान 7 होना चाहिए. समुद्र तल से 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खेती आसान होती है. पौधे शीतोष्ण और समशीतोष्ण दोनों ही तरह की जलवायु में अच्छे से विकास कर सकते हैं. सर्दी का मौसम पौधों के लिए उपयुक्त होता है. लेकिन फूल बनने के दौरान ठंडी में गिरने वाला पाला हानि पहुंचाता है. इसके पौधों के लिए सामान्य बारिश उपयुक्त होती है.
खुबानी के खेत की तैयारी-
खेत को साफ कर मिट्टी पलटने वाले हलो से खेत की गहरी जुताई की जाती है. फिर रोटावेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा करते हैं. भुरभुरी मिट्टी को समतल करने के लिए खेत में पाटा लगा दें. इससे बारिश के मौसम में खेत में जलभराव नहीं होता है. पौधों को खेत में लगाने के लिए गड्डे तैयार करते हैं.
खुबानी के पौध की तैयारी-
पौधों को लगाने के लिए नर्सरी में कलम तैयार करते हैं. कलम को कलम डाब, ग्राफ्टिंग, गुटी बांधने और कलम बीज की विधि से तैयार करते हैं. सभी विधियों में कलम से तैयार पौधों में मुख्य पौधे जैसे ही गुण होते हैं. लेकिन बीज विधि से तैयार कलम के पौधों में मुख्य पौधों की तुलना में कम गुण होते हैं. अधिकाशंतः खुबानी की रोपाई बसंत ऋतु के मौसम में होती है.
खुबानी के पौधों की रोपाई-
खुबानी के पौधों को खेत में तैयार गड्डो में लगाते हैं. गड्डों के बीच में एक छोटा सा गड्डा तैयार करते हैं. गड्डा तैयार करने के बाद उसे गोमूत्र या बाविस्टिन की मात्रा से उपचारित करते हैं. फिर नर्सरी में तैयार पौध को गड्डों में लगा देते हैं. इसके बाद चारों तरह मिट्टी डालकर पौधों को कुछ ऊंचाई तक ढक देते हैं. खुबानी के पौध की रोपाई मार्च, जुलाई, और अगस्त के महीने तक कर सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः हिमाचल के किसान ने उगाई लाल खुबानी, बढ़ाती है इम्युनिटी
खुबानी के पौधों की सिंचाई-
गर्मियों के मौसम में पौधों को 3 से 4 बार पानी देना होता है, सर्दियों में कम पानी की जरूरत होती है गर्मी में पौधों की सिंचाई 7 से 9 दिन के अंतराल में होती है जबकि सर्दियों में 20 से 25 दिन के अंतराल में पानी देना होता है. बारिश के मौसम में समय पर बारिश ना हो तो जरूरत के अनुसार पानी दें. ड्रिप विधि सिंचाई के लिए बेहतर मानी जाती है.