भारत में गेहूं की एक मुख्य फसल के रूप में जाना जाता है, जिसकी खेती काफी बड़े पैमाने पर होती है. देश के लगभग सभी राज्य गेहूं का उत्पादन (Production Of Wheat) भारी मात्रा में करते हैं, लेकिन कभी – कभी मौसम में बदलाव और मिटटी में पोषक तत्वों की कमी की वजह से फसल में कई तरह के कीट व रोगों का प्रकोप हो जाता है. इस वजह से फसल बर्बाद हो जाती है एवं किसानों को भारी नुकसान होता है, इसलिए किसानों को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक खास जानकारी लेकर आए हैं, जिससे आपकी फसल में कीट व रोग का प्रकोप नहीं होगा.
आपको बता दें कि गेहूं की फसल में भारी बारिश की मार, पोषक तत्वों की कमी, और खराब जल निकासी न होने की वजह से सबसे ज्यादा पीली कुंगी (Yellow Kungi) रोग का प्रकोप रहता है. इस रोग से गेहूं की फसल सबसे ज्याद प्रभावित होती है और फसलों को नुकसान होता है. तो आइये पीली कुंगी के लक्षण के बारे में जानते हैं.
पीली कुंगी रोग के लक्षण (Symptoms Of Yellow Kungi)
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इस रोग के प्रभाव से फसल भी पीली दिखाई देती है.
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यह धब्बे के रूप में व पीली लंबी धारियों के रूप में दिखाई देती है.
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प्रभावित पत्ती को पकड़ा जाए, तो हाथ पर पीला सा पाउडर लग जाता है.
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इस रोग के बढ़ने पर दाने पतले हो जाते हैं और उपज बहुत कम हो जाती है.
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यह रोग पत्तों से पौधे के फल तक भी फ़ैल जाती है.
पीली कुंगी रोग से फसल का बचाव
यदि गेहूं की फसल में इस रोग का प्रकोप हो जाए, तो शुरूआती समय में ही उपचार कर लेना चाहिए. इसके लिए आपको 200 ग्राम टैबूकोनाजोल 25 डब्ल्यू-जी या 120 ग्राम ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन, टैबूकोनाजोल 75 डब्ल्यू जी या 200 मिली पाइराक्लोस्ट्रोबिन, एपोक्सीकोनाजोल 18.3 एसई का 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ छिड़काव करें. वहीं, 200 एमएल एजोकसीसट्रोबिन + टैबूकोनाजोल 320 एससी या 200 मिली प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का स्प्रे भी कर सकते हैं. गंभीर स्थिति में दूसरा छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें, ताकि पत्ती रोगमुक्त रह सके.
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गेहूं की फसल में मैंगनीज की कमी (Manganese Deficiency In Wheat Crop)
इसके आलवा खेत में जहां लगातार धान लगाया जाता है, वहां गेहूं की फसल में मैंगनीज की कमी से भी पीलापन आ जाता है. ऐसे में इनका भी समय के अनुसार उपचार करना चाहिए. किसान भाई मैंगनीज की कमी से होने वाले पीलेपन को दूर करने के लिए 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ एक किलो मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव कर पानी लगाएं. इसके साथ ही मृदा जाँच करवाएं.
वहीं जिन किसान के खेत में इस तरह की समस्या हर साल पाई जाती है, तो उनको अपने खेत में पहली सिंचाई करने की जगह पहले मैंगनीज सल्फेट का छिड़काव करें. इसके बाद 2-3 के अंतराल बाद खेत में पानी लगाएं. इसके बाद साप्ताहिक अंतराल पर धूप वाले दिनों में तीन से चार बार छिडकाव करें. हरी खाद और देशी खाद का प्रयोग करें.
इन नम्बर पर ले सकते हैं सलाह (You Can Take Advice On These Numbers 1551, 1800-180 1551)
अगर किसी किसान की गेहूं की फसल इन रोगों से प्रभावित हो जाती है, तो आप विभाग के नंबर 1551 या 1800-180-1551 पर संपर्क कर सकते हैं.