Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 2 November, 2023 2:58 PM IST
सरसों की ये पांच किस्में उत्पादकता में अव्वल (Image Source: Pinterest)

Mustard Cultivation: किसान अपने खेत में सरसों के उन्नत किस्मों की खेती करें, तो वह कम लागत व कम समय में ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं. इसी क्रम में आज हम सरसों की पांच उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जिसे खेत में लगाने से 94 से 181 दिनों में पैदावार मिलना शुरू हो जाती है. ये किस्में प्रति हेक्टेयर लगभग 27 क्विंटल तक उपज देने में सक्षम हैं. सरसों की इन उन्नत किस्मों की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़, मणिपुर और देशभर के विभिन्न राज्यों के किसान सरलता से कर सकते हैं.

सरसों की जिन पांच किस्मों की हम बात कर रहे हैं, वह एनआरसीएचबी-101, डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज), एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों),डीआरएमआर 150-35 और डीआरएमआर 1165-40/ NRCHB-101, DRMRIJ-31 (Giriraj), NRCYS-05-02 (Yellow Mustard), DRMR 150-35, DRMR 1165-40) हैं. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

सरसों की पांच उन्नत किस्में

सरसों की एनआरसीएचबी-101 किस्म- सरसों की इस उन्नत किस्म की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राजस्थान, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असोम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के द्वारा सबसे अधिक की जाती है. इसके पौधे 170-200 सेमी लंबे होते हैं और वहीं सरसों की यह किस्म 105-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. सरसों की NRCHB-101 किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 14 क्विंटल तक उपज देती है.

सरसों की डीआरएमआरआईजे-31 (गिरिराज) किस्म- सरसों की यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के लिए सबसे उत्तम है. इस किस्म के पौधे 180-210 सेमी लंबे होते हैं. यह किस्म 137-153 दिन में पक जाती है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 27 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

सरसों की एनआरसीवाईएस-05-02 (पीली सरसों) किस्म- सरसों की NRCYS-05-02 किस्म के पौधे की लंबाई 110-120 सेमी होती है. यह किस्म 94-181 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म का औसत उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 17 क्विंटल तक है. वहीं, इस किस्म की सरसों में तेल की मात्रा 38.2-46.5 प्रतिशत तक पाई जाती है.

सरसों की डीआरएमआर 150-35 किस्म- सरसों की यह उन्नत किस्म बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के किसानों के लिए उत्तम मानी जाती है. इसके पौधे की लंबाई 164-186 सेमी है. वहीं, यह किस्म खेत में 114 दिन में ही पक जाती है. इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा करीब 39.8 प्रतिशत तक होती है.

ये भी पढ़ें: सरसों की ये तीन किस्में उत्पादकता के मामले में हैं अव्वल, पैदावार 26 क्विंटल/हेक्टेयर तक, जानें अन्य विशेषताएं

सरसों की डीआरएमआर 1165-40 किस्म-  सरसों की यह उन्नत किस्म राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए काफी लाभदायक है. इसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म के सरसों के पौधे की लंबाई 191-204 सेमी होती है. इसके अलावा सरसों की DRMR 1165-40 किस्म में तेल की मात्रा करीब 40.7 प्रतिशत तक पाई जाती है.

English Summary: top five varieties of mustard NRCHB-101, DRMRIJ-31 Giriraj NRCYS-05-02 Yellow Mustard DRMR 150-35 and DRMR 1165-40 will give yield up to 27 quintals per hectare
Published on: 02 November 2023, 03:03 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now