भारत के लगभग सभी राज्यों में फसलों की बुआई से लेकर कटाई तक सबकुछ मौसम पर निर्भर होता है. जैसा की आप जानते हैं कि खरीफ की फसलों की कटाई चल रही है. वहीं किसान रबी फसलों को बोने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं रबी फसल में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों में आलू, मटर, सरसों, गेहूं आदि हैं. आज हम आपको सरसों की उन्नत किस्मों के बारे में आपको बताएंगे. सरसों की इन उन्नत किस्मों के नाम पूसा बोल्ड, पूसा सरसों 28, राज विजय सरसों-2, पूसा मस्टर्ड 21 और पूसा सरसों आरएच 30 हैं. यह सभी भारत में तिलहन के उत्पादन में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली सरसों की किस्में हैं.
ये किस्में किसानों को कम लागत के साथ में प्रति हेक्टेयर ज्यादा मुनाफा देती हैं. इनकी पैदावार भी अन्य किस्मों की अपेक्षा ज्यादा होती है. तो चलिए सरसों की इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
सरसों पूसा बोल्ड
• फसल पकने का समय- 100 से 140 दिन
• बुआई का क्षेत्र- राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र क्षेत्र
• प्रति हेक्टेयर पैदावार- 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
• तेल की मात्रा- लगभग 40 प्रतिशत तक
पूसा सरसों 28
• फसल पकने का समय- 105 से 110 दिन
• बुआई का क्षेत्र- हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर
• प्रति हेक्टेयर पैदावार- 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
• तेल की मात्रा- लगभग 21 प्रतिशत तक
राज विजय सरसों-2
• फसल पकने का समय- 120 से 130 दिन
• बुआई का क्षेत्र- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों में
• प्रति हेक्टेयर पैदावार- औसत पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक
• तेल की मात्रा- लगभग 37 से 40 प्रतिशत
पूसा सरसों आर एच 30
• फसल पकने का समय- 130 से 135 दिनों
• बुआई का क्षेत्र- हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी राजस्थान क्षेत्र के लिए प्रमुख
• प्रति हेक्टेयर पैदावार- 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक
• तेल की मात्रा- लगभग 39 प्रतिशत तक
पूसा मस्टर्ड 21
• फसल पकने का समय- 137 से 152 दिनों
• बुआई का क्षेत्र- पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में प्रमुख
• प्रति हेक्टेयर पैदावार- 18 से 21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन
• तेल की मात्रा- लगभग 37 से 40 प्रतिशत तक
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुवांशिकी संस्थान के अनुसार इन क्षेत्रों के किसान अगर ज्यादा पैदावार चाहते हैं, तो सरसों की ये किस्में किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं. यह सभी किस्में प्रति हेक्टेयर ज्यादा पैदावार के साथ में ज्यादा प्रतिशत तेल की मात्रा उत्पादित करती हैं.