लहसुन के बढ़ते भावों की वजह से किसानों का रुझान लहसुन की खेती की तरफ बढ़ा है. यह एक कंद वाली फसल है जिसमें एलसिन नाम का तत्व पाया जाता है. इसके कारण ही लहसुन से ख़ास तरह की गंध निकलती है और इसका स्वाद तीखा होता है. इसके फल में कलियां निकलती है जिसका उपयोग खाद्य एवं औषधीय पदार्थों में होता है. तो आइए जानते हैं इसकी उन्नत खेती कैसे करें और कैसे अधिक कमाई करें -
उपयुक्त जलवायु
वैसे तो लहसुन की खेती ठंडी में की जाती है लेकिन अच्छी पैदावार के लिए कम सर्दी और कम गर्मी सर्वोत्तम है. अधिक गर्मी की वजह से इसके कंद का ठीक से निर्माण नहीं हो पाता है. इसकी अच्छी खेती के लिए 29 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है.
खेत की तैयारी
लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. मिट्टी का पी.एच. मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए. याद आ रहे भारी मिट्टी में लहसुन के बीज का कंद ठीक से नहीं बन पाता है. बुवाई के पहले खेत में तीन जुताइयां करके मिट्टी को भुरभुरा बनाने लें. इसके बाद ट्रैक्टर से लहसुन की बुवाई कर दें. पहले क्यारियां बनाकर चौपाई विधि से भी लहसुन की बुवाई की जाती है लेकिन इसमेंअधिक समय और अधिक खर्च लगता है.
लहसुन की प्रमुख किस्में
यमुना सफेद-1 (G-1)-यह लहसुन की उन्नत किस्में है जिसका कंद ठोस होता है वहीं बाहरी चमक चांदी जैसी और कली क्रीम रंग की होती है. यह किस्म 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर इससे 145 से 160 क्विन्टल की पैदावार होती है.
यमुना सफेद-2 (G -50)-यमुना सफेद-1 की तरह इसका कंद भी ठोस होता है. इसका बाहरी आवरण सफेद और कली क्रीम रंग की होती है. यह किस्म 165 से 170 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं प्रति हेक्टेयर इससे 130 से 140 क्विंटल की पैदावार होती है. यह झुलसा रोग और बैंगनी धब्बा रोग प्रतिरोधक होती है.
यमुना सफेद-3 (G-282)-इन दोनों की तुलना में यह काफी उन्नत और अधिक पैदावार देने वाली किस्म हैं. इसके कंद की साइज 4.76 (व्यास) होती है. यह 140 से 150 दिनों में पक जाती है वहीं प्रतिहेक्टेयर इससे 175 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. इस किस्म की विदेशों में भी मांग रहती है.
यमुना सफेद 4 (G -323)-इसके कंद का रंग सफेद और कली क्रीम रंग की होती है. वहीं कंद का आकार बड़ा लगभग व्यास 4.5 सेंटी मीटर होता है. यह किस्म 165-175 दिनों में पक जाती है. इसकी पैदावार प्रतिहेक्टेयर 200-250 क्विंटल होती है. विदेशों में इस किस्म की जबरदस्त मांग रहती है.
कब बोएं
अक्टूबर और नवंबर महीने में इसकी बुवाई करें.
बुवाई
इन किस्मों की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 5-6 क्विंटल बीज की आवश्यकता पड़ती है. कतार से कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर, कलियों से कलियों की दूरी 8 सेंटीमीटर रखना चाहिए. वहीं कलियों को 5-7 से.मी. की गहराई में बोएं.
सिंचाई
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करना चाहिए. पौधे की बढ़वार के दौरान 8 दिन और फसल की परिपक्वता के दौरान 10 से 15 के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए.