अगर हम टमाटर की बात करें तो यह भी और फसलों की तरह ही जमीन में उगती है. टमाटर की फसल को कुछ ही दिन में बोने से इससे आपको अच्छी फसल प्राप्त हो सकती है. कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने ग्रीन हाउस में एक ऐसी तकनीक से फसल को तैयार किया है जो जमीन नहीं बल्कि लताओं यानी डालियों पर उगती है. ग्रीन हाउस में पैदा किए गए इस नए तरह के टमाटर में किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं है. इसके अलावा यह अन्य सामान्य टमाटरों की तरह ही सबसे अधिक टिकाऊ है. इस तरह के टमाटर में खराब होने की ही संभावना कम होती है.
वैज्ञानिकों ने दिया है विशेष नाम
दरअसल टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसे हर कोई पसंद करता है. आमतौर पर टमाटर के पौधे जमीन पर उगते हैं. लेकिन लताओं पर उगने वाले इस टमाटर की फसल को वैज्ञानिकों ने खड़ी फसल कहा है. सीएसए में तैयार टमाटर की यह प्रजाति लताओं वाली होती है. इस तने का हिस्सा मिट्टी के संपर्क में नहीं आता है. इसके बाद ऊपर की ओर यह फसल आठ से दस बारह फुट तक तार के सहारे फैल जाती है. जब इसका तना एक फुट का हो जाता है तब इसके बाद इसमें फूल निकलने लगते हैं और फसल आनी शुरू हो जाती है. इसकी तुड़ाई के लिए नीचे से सहारा लिया जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि टमाटर की फसल के लिए ग्रीन हाउस काफी बेहतर तकनीक है और इससे फसल को कीटों से बचाव भी मिलता है. इस फसल में जैविक खाद का प्रयोग किया गया है और यह रासायनिक खादों से पूरी तरह से सुरक्षित होती है. मिट्टी के संपर्क में फसल नहीं आती है और यह सभी चीजें फसलों को स्वस्थ बनाने का कार्य करती है.
कम जगह पर अधिक उत्पादन
इसका तापमान पूरी तरह से कंट्रोल रहता है. इसीलिए इस फसल पर तापमान के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं होता है. टमाटर भी समय से पकता है. आप इन पौधों से आठ महीने तक फसल ले सकते है. इसमें एक बार पॉली हाउस, नेट हाउस और पॉली हाउस को बनाकर फसल आसानी से ले सकते है. यह उत्पादन समान्य खेतों में होने वाली फसल से कई गुना ज्यादा है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि कम सिंचाई के कम साधन, कम रासायनिक खादों और कम स्थानों पर इसकी सुरक्षित फसल ले सकते हैं.