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Updated on: 7 June, 2019 1:45 PM IST

देश में गुलाब की खेती लगभग हर क्षेत्र में की जाती है. जैसे फलों में आम का सबसे ज्यादा महत्व है वैसे ही फूलों में गुलाब का महत्व है. गुलाब का रंग और उसकी सुगंध सभी का मन मोह लेती है. गुलाब के फूलों से गुलकंद, तेल, इत्र, गुलाबजल, जैम, जैली पेय और खाने के पदार्थ बनाए जाते हैं. गुलाब एक बहुवर्षीय, झाड़ीदार, कंटीला, पुष्पीय पौधा होता है. इसकी 100 से अधिक प्रजातियां होती है जिनमें से ज्यादातर एशियाई मूल की प्रजाति होती है. गुलाब की फूल की डंडी और गुलदस्ते ज्यादा पसंद किए जाते है. नवीनतम तकनीक से गुलाब से अच्छी पैदावार ली जाती है. इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में काफी व्यापक स्तर पर की जाती है. दरअसल इसकी खेती विदेशों में निर्यात और आयात करने के लिए काफी ज्यादा बेहतर मानी जाती है.गुलाब को कट फ्लावर, गुलाब, गुलकंद आदि के लिए उगाया जाता है. गुलाब की खेती ज्यादातर राज्यों जैसे मध्य  प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश आदि में की जाती है. तो आइए जानते हैं कि गुलाब की बेहतर पैदावर कैसे प्राप्त की जा सकती है-

गुलाब खेती

उपयुक्त जलवायुः गुलाब की खेती उत्तर और दक्षिणी भागों में सर्दी के समय पर की जाती है, इसके लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 12 डिग्री होना बेहद जरूरी है. यानि कि पौधे को वर्ष में बेहतर रोशनी मिलती रहनी चाहिए. इसकी खेती के लिए प्रकाश और तापमान के अनुपात को ठीक बनाए रखना जरूरी है.गुलाब को प्रचुर मात्रा में पानी और मिट्टी की आवश्यकता होती है.अगर तापमान अधिक  और नमी हो तो मृदुल असिता आ सकता है.

उपर्युक्त भूमि

गुलाब की खेती के लिए दोमट मिट्टी तथा कार्बनिक तत्वों वाली होनी चाहिए. इसका पीएच मान5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है.

खेत की तैयारी

गुलाब की खेती के लिए सुंदरता की दृष्टि से औपचारिक नक्शा तैयार करके खेत को क्यारियों में बांट लेते है. क्यारियों की लंबाई और चौड़ाई 5 मीटर और लंबी 2 मीटर रखते है. दो क्यारियों के बीच में आधा मीटर स्थानछओड़ देना चाहिए. क्यारियों को अप्रैल और मई में एक मीटर की गुड़ाई एक मीटर की गहराई तक खोदे और 15 से 20 दिन के लिए खुला छोड़ दें. क्यारियों को 30 सेमी तक सूखी पत्तियों को डालकर खोदी गई मिट्टी को क्यारियों से ढक देना चाहिए. साथ ही गोबर से सड़ी हुई खाद एक महीने पहले ही क्यारी में डाल देना चाहिए. बाद में क्यारियों को पानी से भरना चाहिए. लगभग 10 से 15 दिन बाद औठ आने पर इन क्यारियों में कतार को बनाते हुए पौधे से लाइन की दूरी 30 गुने 62 सेमी रखी जाती है.

गुलाब की किस्में

गुलाब की किस्मों  के लिए गुलाब की संकर किस्मों को अलग-अलग भागों में विभक्त किया गया है-

1. लंबी डंडी वाले- आमतौर पर इन गुलाब के फूलों की डंडी 50 से 120 सेंटीमीटर तक लंबी होती है. इनकी उपज 100 से 150 फूल प्रति वर्ग मीटर प्रतिवर्ष होती है. रोपाई के बाद 40 से 60 दिन बाद इन फूलों की कटाई की जाती है.

2. भारतीय किस्में- सुगंधा, अर्जुन, डॉ भाभा जवाहर (सफेद), रक्तगंधा, भीम, अभिसारिका, सहस्त्रधारा, गंगा, बंसत, पीला, अंजता, (लंबडर), रकतीमा (लाल) प्रेयसी(गुलाबी) आदि.

3. परदेशी किस्में- अमेरिकन, हेरिटेज, बल्यू मून, डबल डिलाइट, ग्रेनेडा, मिस्टर, हेपिनेस, लिंकन, पेरेडाइज, सनसाइन आदि है.

4. मध्यम डंडी वाले गुलाब- आमतौर पर हौलैंड में इनकी डंडी की लंबाई 50 से 80 सेंटीमीटर रखी जाती है. इन किस्मों में फूल एक शाखा पर गुच्छों में आते है. सभी फूल एकसाथ खिलते है और ज्यादा आकर्षक दिखाई देते है. इन फूलों की उपज 200 फूल प्रति वर्ग मीटर होती है.

पौधशाला- गुलाब की खेती के लिए टी-बंडिग द्वारा इसकी पौध तैयार होती है. जंगली गुलाब की कलम जून-जुलाई में क्यारियों में लगभग 15 सेंटीमीटर दूरी पर लगा दी जाती है. नंबवर से दिसंबर तक इन कलम में टहनियां निकल जाती है. इन पर कांटे चाकू से अलग कर दिए जाते है.जनवरी में अच्छे किस्म के गुलाब टहनी लेकर टी आकार कलिका निकालकर गुलाब की ऊपरी टी में लगाकर पॉली थीन में कसकर बंध लेते हैं.

रोपाई- गुलाब की खेती के लिए रोपाई का तरीका पहले से मिट्टी को भरकर तैयार किए हुए गड्ढे के मध्यमें गुलाब की कलम के कुंडे और प्लास्टिक बैग जितना बड़ा गड्ढा करें, बाद में जड़ों को नुकसान न हो ऐसा कुंडा तोड़कर या प्लास्टिक काटकर मिट्टी टूटे नहीं इस तरह से बैग को लगाए और मिट्टी को डालकर सही से दबाए. रोपाई करते समय कलम के जोड़ वाला भाग भूमि की सतह से 10 से 12 सेंटीमीटर ऊपर होना चाहिए. ऊपर ज्यादा से ज्यादा गहराई पर कलम लगाने से वह निष्फल हो जाती है.  कलम को तेज हवाओं से संरक्षण के लिए कलम को बांस की लकड़ी का सहारा दें.

उर्वरक और खाद- पौधे के अच्छे विकास के लिए खरीफ में प्रति पौधा 10 किलो गोबर खाद, 25 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम डीएपी और 25 ग्राम एमओपी दें| छटाई के बाद अक्टूबर में प्रति पौधा 25 ग्राम यूरिया, 50 ग्राम डीएपी और 25 ग्राम एमओपी दें| जनवरी महीने में प्रति पौधा 50 ग्राम यूरिया, 25 ग्राम डीएपी और 25 ग्राम एमओपी दें|

सिंचाई- ताजा और नई लगी हुई गुलाब की कलम को लगातार नमी मिलती रहे इसलिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें. आमतौर पर प्रांरभ के पहले सप्ताह में थोड़ा- थोडा पानी निरंतर देते रहे. बाद में रबी में 8 से 10 दिन के अंतर पर गर्मियों में और 4 से 5 दिन के अंतर से सिंचाई करें. ग्रीनहाउस में सिंचाई के दो तरीके है| मिस्ट और ड्रिप सिचाई, पानी की जरूरत का आधार तापमान, औसत नमी, प्रकाश और विकास अवस्था है|

कटाई छटाई- फूल की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उसकी कटाई-छटाई बेहद ही जरूरी है. विविधत की गई छटनी से विकास समान होता है. भारत के मौदानी भागों में कटाई-छटाई हेतु अक्टूबर का दूसरा माह सर्वोत्तम होता है. लेकिन उस समय वर्षा न हो. इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वहां से कटाई 5 सेंटीमीटर
ऊपर से करनी चाहिए. छटाई करते वक्त रोगीरष्ट, एक -दूसरे से उलझी हुई डालियां निकाल दें, बराबर छटाई करने से पौधा कमजोर पड़ जाता है. साल में ज्यादा से ज्यादा दो बार ही छंटाई करें.

निराई-गुड़ाई

पौधे की कटाई छांट के बाद गुलाब की 2 से तीन बार निकलने वाली शाखाएं अधिक संख्या में निकल आती है. इसीलिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करके फसल से खरपतवार को निकालते रहें तो ठीक रहता है.

फूल तुड़ाई

फूलों की कटाई का समय उसकी किस्मों पर निर्धारित होता है. कटाई बाजार की मांग और खेत से अंतर या निकास बाजार के आधार पर ही तय करने की कोशिश करें. कटाई के बाद जब गुलाब ग्राहक के पास पहुंच जाए तो गुलाब को खिल जाना चाहिए. फूलों को दोपहर के बाद ही कुछ डंठल के साथ तेज चाकू या ब्लेड की सहायता से काटना चाहिए| कटाई के बाद फूलो को उतारने के बाद तुरंत ही पानी से भरे हुए बर्तन में रखे| बाद में उसको कोल्ड स्टोरेज में निम्न तापमान यानि 2 से 10 डिग्री पर रखें|

English Summary: This way of cultivating a rose will make you
Published on: 07 June 2019, 01:48 PM IST

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