दाल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है. इसमें से एक मसूर है. मसूर दलहनी फसलों की प्रमुख श्रेणी में रखा गया है. बात करें मसूर की खेती की, तो यह आमतौर पर देश के सभी हिस्सों में की जाती है. इसमें मौजूद पोषक त्तव हमारे शरीर के लिए बेहद लाभदायक माने जाते हैं. मसूर की अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है कि आपको मसूर की उन्नत किस्मों की जानकारी हो.
दाल प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है. इसमें से एक मसूर है. मसूर दलहनी फसलों की प्रमुख श्रेणी में रखा गया है. बात करें मसूर की खेती की, तो यह आमतौर पर देश के सभी हिस्सों में की जाती है. इसमें मौजूद पोषक त्तव हमारे शरीर के लिए बेहद लाभदायक माने जाते हैं. मसूर की अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है कि आपको मसूर की उन्नत किस्मों की जानकारी हो.
मसूर की उन्नत किस्में
बॉम्बे 18: मसूर की यह किस्म बुवाई के 130-140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. 4-4.8 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देता है.
डीपीएल 15: डीपीएल 15 प्रति एकड़ 5.6-6.4 क्विंटल की औसतन उपज देती है. साथ ही यह किस्म बुवाई के 130 – 140 दिनों में पक जाती है.
डीपीएल 62 : 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देनी वाली यह खास डीपीएल 62 बुवाई के 130-140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
LL 931: एलएल 931 गहरे हरे पत्तों और गुलाबी फूलों के साथ छोटी किस्म है. जो कि बुवाई के 146 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह फली छेदक के लिए प्रतिरोधी है. यह 4.8 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देती है.
एल 4632 के 75: 120-125 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. 5.6-6.4 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देती है.
पूसा 4076: 10-11 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत बंपर उपज देती है. साथ ही 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
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LL 699: एलएल 699 मसूर की उन्नत किस्मों में से एक है. यह जल्दी पकने वाली, छोटी किस्म गहरे हरे पत्तों वाली होती है. यह किस्म बुवाई के 145 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह फली छेदक के लिए प्रतिरोधी है और जंग और झुलस रोग को सहन कर सकता है. यह औसतन 5 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देता है.