कम लागत और कम समय में अधिक उपज देने वाली फसल की किस्मों पर कृषि वैज्ञानिकों के शोध हमेशा से चलते आ रहे हैं. अब इसी क्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का काशी शुभांगी या छप्पन भोग कद्दू चर्चा में आया है. यह कई गुणों का खान है. कद्दू की यह किस्म आमदानी बढ़ाने वाली तो है ही, साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टि से भी काफी गुणकारी है. इसमें न सिर्फ़ किसानों को सशक्त बनाने की क्षमता है, बल्कि सेहत को भी दुरुस्त रखने की भी क्षमता है.
दरअसल, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक सुधाकर पांडेय ने कहा कि छप्पन भोग कद्दू महत्वपूर्ण सब्जी ही नहीं, बल्कि कई औषधीय गुणों से भरपूर भी है. छोटे पौधे वाला यह कद्दू कई गुणों से भरा हुआ है. इसमें ब्लड प्रेशर, मोटापा कम करने की क्षमता है.
कम समय में अधिक पैदावार
कद्दू की इस किस्म की 50 से 55 दिन में पहली तुड़ाई होती है. इसके अलावा यह लगातार 70 दिन तक फल देती है. छप्पन भोग कद्दू की औसत उपज 325-350 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. एक फल 800-900 ग्राम का होगा. लंबाई 68-75 सेमी तथा गोलाई 21-24 सेमी होगी. आपको प्रति पौधा औसतन 8-10 फल मिलेंगे. साथ ही एक हेक्टेयर में 7000-7500 पौधे लगाए जाते हैं.
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विटामिन और खनिज तत्व
कद्दू की इस किस्म में लगभग सभी प्रकार के विटामिन एवं खनिज तत्व मौजूद हैं. इनमें मुख्य रूप से विटामिन ए (211 मिग्रा), विटामिन सी (20.9 मिग्रा), पोटैग्रायम (319 मिग्रा) एवं फॉस्फोरस (52 मिग्रा) मिलता है. यह प्रति 100 ग्राम फल में पाया जाता है. इतना ही नहीं, इस सब्जी में पोषक तत्वों की प्रचुरता भी है. गौरतलब है कि आईआईवीआर में विकसित इस प्रजाति को खेत के अलावा गमले में भी लगाकर अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
खेती करने का समय
पूर्वी उत्तर प्रदेश में छप्पन कद्दू की बुवाई सितंबर माह के द्वितीय पखवाड़े से लेकर नवंबर के प्रथम पखवाड़े तक करें. लोटनेल की सुविधा होने पर दिसंबर महीने में भी बुवाई की जा सकती है.