जून से अगस्त तक का महीना करेले की खेती के लिए लाभदायक है. आज हम आपको करेले की एक ऐसी संकर किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मधुमेह की बीमारी को नियंत्रित करने में सक्षम है. इतना ही नहीं इस नई किस्म के सहारे किसान भाई अपनी उपज 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं. इसका नाम पूसा हाईब्रिड -4 रखा गया है.
15 दिन पहले लगते हैं फल
इस करेले की खास बात यह है कि इसको अधिक रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती. कम लागत में भी इसकी खेती आसानी से हो सकती है. औषधीय गुणों से भरपूर ये आम करेले के मुकाबले 15 से 18 दिन पहले उगने में सक्षम है.
हर तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त
गहरे हरे रंग की दिखने वाली इस नई किस्म के करेले मध्यम लम्बाई और आकार में मोटे हैं, जिनका औसत वजन 60 ग्राम तक का है. इसकी खेती के लिए लगभग हर तरह की मिट्टी उपयुक्त है. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक दोमट मिटटी पर परिणाम अधिक बेहतर आने की संभावना है. आर्द्र जलवायु इसके विकास में सहायक है.
सिंचाई
इस किस्म को गर्मियों के मौसम में प्रत्येक सप्ताह एक बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है, वहीं बरसात में विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती.
सेहत के लिए अधिक लाभकारी
इस नई किस्म के करेले ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक हैं. वहीं डायबीटीज की समस्या में भी इनके सेवन से फायदा होता है. स्किन संबंधी बीमारियों और पीलिया, गठिया और मुंह के छालों में भी इसके सेवन से आराम मिलता है. पूसा हाईब्रिड-4 को आंखों के लिए भी अधिक फायदेमंद माना गया है, इसमें पाया जाने वाला बीटा-कैरोटिन आंखों से संबंधित बीमारियों को कम करने में सहायक है.
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