एक समय था जब बादाम की खेती मुख्य तौर पर जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों तक सीमित थी. लेकिन आज़ बदलते हुए समय एवं उच्च तकनीकों के सहारे इसकी खेती मैदानी जगहों पर भी होने लगी है.
वहीं अगर मांग की बात करें तो बढ़ती बिमारियों एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के कारण लोग इसका सेवन कर रहे हैं.बता दें कि बादाम की तरह ही उसका फूल भी खास होता है, जिसकी भारी मांग है. बादाम का फुल शुरूआत में एकल अथवा छाते के आकार का होता है जो कभी-कभी पत्ती के साथ वृन्त पर लगता है.
वहीं अगर फलों की बात करें तो इसके फल बाहरी सतह पर चमकीले रोये के रूप में लगते हैं. भारत में बादाम के गिरी को भी खूब पसंद किया जाता है. खास तौर पर ज्यादा पोषक और औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसकी मांग दवाइयों एवं सौंदर्य सामग्री में भी उपयोग होती है. चलिए आपको बताते हैं, कि कैसे करते हैं बादाम की खेती.
बादाम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for cultivation of almonds)
बादाम की खेती करने से पहले ये जानना जरूरी है कि इसके लिए किस तरह के जलवायू की आवश्यकता होती है. बादाम को मुख्य तौर पर सूखे गर्म उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है, लेकिन फल को पकते समय इसके लिए गर्म शुष्क मौसम का होना ही उचित है
आमतौर पर माना जाता है कि अधिक ठण्ड और धुन्ध में इसकी खेती हो सकती है, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार ग्रीष्म ऋतु बादाम के लिए उपयुक्त नहीं है| बादाम को न्यूनतम 7 और अधिकतम 24 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान चाहिए. यह फल 750 से 3,210 मीटर समुद्र तल से उंचाई पर आराम से उग सकते हैं.
बादाम की खेती के लिए वर्षा (Rain for almond cultivation)
बादाम की खेती के लिए औसत वार्षिक वर्षा 75 से 110 सैंटीमीटर तक होनी चाहिए.
बादाम की खेती के लिए भूमि का चयन (Land selection for almond cultivation)
इस खेती को करने के लिए समतल, बलुई दोमट वाली चिकनी गहरी उपजाऊ मिट्टी की जरूरत है. इसके साथ ही जरूरी है कि जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो.
बादाम की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved Varieties for Almond Cultivation)
अगर बादाम की खेती से आप अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए इसके कुछ किस्में खास तौर पर बाजार में उपलब्ध है. वैसे बादाम के किस्मों को शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों एवं ऊँचे तथा मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के अनुसार दो भागों में बांटा गया है. शुष्क शीतोष्ण क्षेत्रों में आराम से नी-प्लस– अल्ट्रा, टैक्सास एवं थिनशैल्ड को उगाया जा सकता है, जबकि ऊँचे तथा मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मर्सिड, निकितस्काई, व्हाईट ब्रान्डिस, क्रिस्टोमोरटो, नॉन पेरिल, आई एक्स एल, नौ णी स्लैक्शन, वेस्ता और जेन्को आदि बेहतरिन किस्मों को उगाया जा सकता है. इसके अलावा कुछ ऐसी किस्में भी है जो निचले पर्वतीय तथा घाटी क्षेत्रों में उगाई जात है. जैसे ड्रेक, काठा, पीयरलैस आदि.
बादाम की खेती के लिए पौधरोपण (Plantation for Almond Cultivation)
बादाम की खेती करने के लिए सबसे पहले तैयार गड्ढों में गोबर एंव केचुए की खाद भर दीजिए. अगर आप पतझड़ ऋतु में पौधें लगा रहे हैं तो ध्यान रखें कि गड्ढों का आकार 1×1×1 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 6*7 होना चाहिए. वहीं पंक्ति से पंक्ति की दूरी भी 6 x 7 मीटर के आसपास होनी चाहिए.
बादाम की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management for Almond Cultivation)
बादाम के फसल को गर्मियों के समय में हर 10 दिन के अंतराल पर एवं सर्दियों में 20 से 30 दिन के अतंराल पर पानी मिलना चाहिए. फल तुड़ाई यह फसल रोपाई के तीसरे साल से फल देना शुरू करता है. फूल आने के 7 से 8 महीने बाद आप बादाम की तुड़ाई कर सकते हैं. फली की तुड़ाई हाथ से या टहनियों पर डंडे से टोड़कर की जा सकती है.