भारत में कई तरह की सब्जियां उगाई जाती है. भारतीय रसोई में तरह-तहर की सब्जियां बनाई भी जाती है. सभी सब्जियों में से कई लोगों की पसंद शिमला मिर्च है. किसान भाईयों के लिए इसकी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि नामों से जाना जाता है. इसका आकार और तीखापन मिर्च से भिन्न होता है. इसके फल गूदेदार, मांसल, मोटा, घंटी नुमा, कहीं से उभरा तो कहीं से नीचे दबा हुआ होता है. शिमला मिर्च में विटामिन ए और सी काफी मात्रा में पाया जाता है, इसलिए रसोई में इसको सब्जी की तरह उपयोग में लाया जाता है. इसकी खेती से किसान भाई अपनी आय और तकदीर बदल सकते हैं, क्योंकि यह सब्जी कम जमीन और कम लागत में ज्यादा लाभ देती है. कई किसान भाईयों को इसकी जानकारी के अभाव में इसकी खेती पर जोर नहीं देते है. अगर किसान भाई वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती करें, तो इससे अधिक उत्पादन व आय मिल सकती है. हमारे इस लेख में पढ़िए कि कैसे शिमला मिर्च की उन्नत खेती करते है.
उपयुक्त जलवायु व मिट्टी
शिमला मिर्च की खेती नर्म आर्द्र जलवायु वाली फसल है. इसकी ज्यादा पैदावार के लिए लगभग 21 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए. इसकी फसल को ज्यादा पाला नुकसान पहुंचाता है. ठंड पड़ने से इसके पौधों पर फूल कम आते है, साथ ही फूलों का आकार छोटा और टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है. अगर मिट्टी की बात करें, तो इसकी खेती में अच्छे जल निकास वाली चिकनी दोमट मिटटी उपयुक्त मानी जाती है. जिसका पी.एच.मान लगभग 6 से 6.5 हो.
उन्नत किस्म का चयन
शिमला मिर्च की खेती के लिए कई उन्नत और संकर किस्में आती है, लेकिन आपने क्षेत्र की प्रचलित और ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन करना चाहिए. साथ ही किस्म रोग प्रति रोधी होनी चाहिए. इसकी कई प्रमुख किस्में है जैसे- हीरा, इंद्रा, अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, किंग ऑफ नार्थ, अर्का बसंत, ऐश्वर्या, अलंकार, अनुपम, हरी रानी, पूसा दिप्ती, ग्रीन गोल्ड, कैलिफोर्निया वांडर आदि है. आप चयन कर लें. आपको कौन-सी किस्म की खेती करना है.
खेती की तैयारी
शिमला मिर्च की फसल के लिए खेत में सबसे करीब 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद या कंपोस्ट खाद डाल दें. इसके बाद पौधों की रोपाई के वक्त करीब 60 किलोग्राम नत्रजन, 60 से 80 किलोग्राम सल्फर तथा 40 से 60 किलोग्राम पोटाश डाल देना चाहिए.
बीज बुवाई
इसकी खेती में बीज को साल में तीन बार बोया जा सकता है. सबसे पहला जून से जुलाई तक, दूसरा अगस्त से सितम्बर और तीसरा नवंबर से दिसंबर तक मुख्य खेत से बोया जा सकता है.
नर्सरी तैयार करना
शिमला मिर्च की खेती में नर्सरी यानि पौधशाला का बहुत महत्व माना जाता है. इसकी खेती करते वक्त भूमि से लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपर क्यारियां बनानी चाहिए. हर क्यारी में लगभग 2 से 3 टोकरी गोबर की अच्छी सड़ी खाद डाल दें. साथ ही मिटटी को अच्छा बनान के लिए लगभग 1 ग्राम बाविस्टिन को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़क देना चाहिए.
पौध रोपण
इसमें लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर लंबा और 4 से 5 पत्तियों वाला पौध प्रयोग करें. ये लगभग 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाता है. पौध रोपण के एक दिन पहले क्यारियों में सिंचाई कर दें. जिससे पौध आसानी से निकाली जा सके. रोपण के पहले पौध की जड़ को बाविस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में करीब आधा घंटा तक डुबा कर रख देना चाहिए.
सिंचाई
पौध रोपण के बाद तुरंत खेत की सिंचाई कर देनी चाहिए. ध्यान दें कि शिमला मिर्च की खेती करते वक्त कम सिंचाई या फिर ज्यादा सिंचाई फसल को हानि पहुंचा सकती है, इसलिए गर्मियों में 1 सप्ताह और ठंड में लगभग 10 से 15 दिनों में सिंचाई कर देनी चाहिए. अगर बारिश हो जाए, तो खेत में जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए.
निराई-गुड़ाई
पहली निराई-गुड़ाई पौध रोपण के करीब 25 दिन बाद कर देनी चाहिए. तो वहीं दूसरी निराई-गुड़ाई करीब 45 दिनों में करनी चाहिए. इसके बाद खरपतवार को साफ कर दें. पौध को मजबूत रखने के लिए रोपण के करीब 30 दिन बाद उस पर फिर से मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए.
फलों की तुड़ाई
शिमला मिर्च की खती करने वक्त फलों की तुड़ाई पौध रोपण के करीब 55 से 70 दिन बाद शुरु कर देनी चाहिए. ये 90 से 120 दिन तक चलती है. ध्यान रहे कि फलों की तुड़ाई नियमित रूप से करनी चाहिए.
पैदावार
अगर शिमला मिर्च की खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए, तो उन्नतशील किस्मों से लगभग 150 से 250 क्विटल और संकर किस्मों से लगभग 250 से 400 किंवटल प्रति हेक्टेयर पैदावार की जा सकती है.