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Updated on: 17 November, 2022 12:58 PM IST
पानी में लगाओ ये फल, कमाओ दोगुना मुनाफा

बीते कुछ समय से एक फल की खेती ने किसानों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. यह है सिंघाड़े की खेती. सिंघाड़े में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, पोटेशियम, मैगनीज, जिंक, विटामिन सी अल्प मात्रा में पाया जाता है. सर्दियों के समय इसकी बाजारों में जमकर आवक होती है. सिंघाड़ा एक नदी फसल है. ऐसे में इसकी खेती कर किसानभाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आईए जानते हैं सिंघाड़े की खेती के बारे में.

सिंघाड़े की जलवायु

सिंघाड़ा एक उष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल है. भारत के उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिमबंगाल समेत कई राज्यों में इसकी खेती होती है. इसकी खेती के लिए खेत में एक से दो फीट पानी की आवश्यकता होती है. खेत में जल स्थिर होना चाहिए.

सिंघाड़े के लिए मिट्टी

सिंघाड़े की खेती अधिकतर तालाब या पोखर में ही की जाती है, इसलिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती. आज कल जमीन पर भी सिंघाड़े की खेती होने लगी है. इसके लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. खेतों की मिट्टी सामान्य से ज्यादा भुरभुरी होती है, तो सिंघाड़ा बेहतर उपज देता है. मिट्टी का पीएच 6.0 से 7.5 होना चाहिए. सिंघाड़े के लिए खेतों में ह्युमस की मात्रा अच्छी होनी चाहिए.

सिंघाड़े की खेती के लिए उपयुक्त मौसम

सिंघाड़े की बुवाई जून-जुलाई में होती है. जून से दिसंबर यानि 6 महीने सिंघाड़े की फसल से अच्छा मुनाफा होता है. इस फसल के लिए ज्यादा पानी की जरुरत होती है, लिहाजा मानसून का समय इसके लिए बेहतर माना जाता है. छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े की बीज बुवाई होती है.

सिंघाड़े की उन्नत किस्में

सिंघाड़े की दो टाइप की किस्में मिलती हैं, जिनमें हरीरा गठुआ, लाल गठुआ, कटीला, लाल चिकनी गुलरी जल्द तैयार होने वाली किस्में हैं. यह किस्में 120-130 दिनों में तैयार हो जाती हैं. देर से पकने वाली किस्मों में करिया हरीरा, गुलरा हरीरा, गपाचा शामिल है, जो 150 से 160 दिनों में तैयार होती है. हरे रंग वाली सिंघाड़े की प्रचलित VRWC 3 है. ध्यान रखें कि बिना कांटे वाली सिंघाड़ा किस्म ज्यादा अधिक उत्पादन देती हैं, इनकी गोटियों का आकार भी बड़ा होता है.

सिंघाड़े के लिए ऐसे तैयार करें नर्सरी

सिंघाड़े की नर्सरी तैयार करने के लिए आपको जनवरी-फरवरी माह से तैयारी शुरु करनी होगी. अगर आप बीज से पौधे तैयार कर रहे हैं, तो दूसरी तुड़ाई के स्वस्थ पके फलों के बीज का चयन करें. उन्हें जनवरी माह में पानी में डूबोकर रखें. इसके बाद फरवरी में बीजों को अंकुरण से पहले गहरे पानी में डालें. इसके बाद बीजों को अंकुरण होता है. मार्च तक फलों से बेल निकलने लगती है. एक माह में ही ये बेलें 1.5-2 मीटर लंबी हो जाती है. इसके बाद इन लंबी बेलों को अप्रैल से मई के बीच में तोड़ कर तालाब में रोपा जाता है.

कहां से लें सिंघाड़े बीज

आप पहले से सिंघाड़ा खेती कर रहे हैं तो अगली फसल के लिए दूसरी तुड़ाई के स्वस्थ पके फलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा उद्यान विभाग या अपने राज्य के बीज निगम से भी बीज ले सकते हैं. यहां से उन्नत किस्मों के बीज मिल जाते हैं.

सिंघाड़ा के लिए पानी और खाद

सिंघाड़े की खेती में बहुत ज्यादा पानी की जरुरत होती है. हालांकि खाद की जरुरत कम होती है. किसानभाई पौधारोपण से पहले प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 8 से 10 टन गोबर की खाद, नाइट्रोजन, पोटास, फास्फोरस की उचित मात्रा का इस्तेमाल करें.

रोगों का खतरा और बचाव

सिंघाड़े की खेती में सिंघाड़ा भृंग, नीला भृंग, माहू, घुन और लाल खजूरा का खतरा होता है, अगर फसल कीटों की चपेट में आ जाए तो उत्पादन 25%-40% तक कम हो जाता है. फसल के बचाव के लिए कीटनाशक का उपयोग जरुरी होता है.

सिंघाड़े में कितनी लागत-कितना मुनाफा

सिंघाड़े की खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 से 60 हजार रुपए की लागत आती है. लेकिन जब सिंघाड़े की बिक्री होती है, तो आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. प्रति हेक्टेयर 80 से 100 क्विंटल तक सिंघाड़े का उत्पादन होता है. ऐसे में प्रति हेक्टेयर 1 लाख तक शुद्ध लाभ हो जाता है. आप सिंघाड़े को बाजार में बेच सकते हैं या सूखा कर बेच सकते हैं. अगर बाजारी भाव की बात करें तो एक किलो सिंघाड़ा 50 रुपए किलो तक बिक जाता है. वहीं मंडियों में पानी में उबाला हुआ सिंघाड़ा 120 रुपए किलो तक बिक जाता है. किसानभाई सिंघाड़े की खेती के साथ मखाने की खेती और मछली पालन भी कर सकते हैं. सहफसली करने पर सालभर में 4 से 5 लाख की आय हो जाती है. राज्य सरकारें सिंघाड़ें की खेती के लिए सब्सिडी भी देती हैं. आप नजदीकी कृषि विभाग में जाकर इसकी जानकारी ले सकते हैं.

English Summary: This fruit will grow only in water without soil and manure, will make farmers rich
Published on: 17 November 2022, 01:03 PM IST

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