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Updated on: 30 April, 2020 8:36 PM IST
Potato Crop

अगर आप मैदानी क्षेत्रों में आलू की खेती करना चाहते हैं, तो आपके लिए केंद्रीय आलू अनुसन्धान संस्थान, शिमला खास सौगात लेकर आया है. दरअसल संस्थान ने आलू की ऐसी तीन किस्मों को तैयार किया है, जिसकी सहायता से आप अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

इन तीनों किस्मों पर संस्थान ने लगभग 10 से 12 साल तक शोध किया है, इसलिए विश्वसनियता की कसौटी पर खरे उतरने की इनकी अधिक संभावनाएं हैं. चलिए आपको इनके बारे में बताते हैं.

कुफरी गंगा (Kufri Ganga)

इस किस्म को मुख्य फसल में लगाया जा सकता है. इसके कंद देखने में सुंदर और सफेद होते हैं. आकार में यह अंडाकार होता है. यह आलू पछेती झुलसा रोग का प्रतिरोधक है और इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी है. भोजन के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है और इस किस्म से लगभग 35-40 टन प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त हो सकती है. यह किस्म कम पानी में भी अन्य आलूओं के मुकाबले अधिक उत्पादन दे सकती है.

कुफरी नीलकंठ (Kufri Neelkanth)

इस आलू को भोज्य आलू की विशेष किस्म कहा जा सकता है. इसके कंदों का रंग सुंदर बैंगनी होता है और आकार में ये अंडाकार प्रतीत होते हैं. सेहत की   दृष्टिकोण से देखा जाए, तो इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट की मात्रा अन्य लाल रंग वाली किस्मों के मुकाबले अधिक होती है. इस किस्म की सहायता से आप 35-38 टन प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.

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कुफरी लीमा (Kufri Leema)

अगेती फसल में इसको लगाया जा सकता है. अधिक तापमान को सहने के साथ-साथ हॉपर व माईट कीटों के प्रति भी यह सहनशीलता है. इसकी भण्डारण क्षमता अच्छी है तथा भोज्य आलू के लिए इसको उपयुक्त माना गया है. इस किस्म की सहायता से लगभग 30-35 टन प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.  

English Summary: these three varieties of potatoes will give huge production know more about it
Published on: 30 April 2020, 08:38 PM IST

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