पशुपालन की सबसे बड़ी समस्या सालभर हरे घास की पूर्ति करना होता है. दिसंबर महीने के बाद से हरा घास मिलना कम हो जाता है. जिसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. अधिकतर पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को गेहूं, चने और मसूर आदि का सूखा भूसा ही डालते हैं. जिसके कारण दुधारू पशु धीरे-धीरे कम दूध देने लगते हैं. ऐसे में यदि पशुपालक इन 5 प्रमुख चारा फसल लगाए और इसके लिए एक चक्र अपनाएं तो कभी भी हरे चारे की कमी नहीं होगी.
नेपियर घास (Napier grass)
इस घास को सालभर लगाया जा सकता है. यह स्वादिष्ट और पौष्टिक चारा फसल है. इस घास को मध्यम या उथली जगह पर आसानी से उगाया जा सकता है. इस घास को सरलता से लगाया जा सकता है. इसे लगाने के लिए इसकी जड़ों को मिट्टी में रोपाई कर दिया जाता है. यदि आपके पास सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था है तो जायद मौसम में मध्य फरवरी से अप्रैल माह इसकी रोपाई करें. यदि सिंचाई की व्यवस्था नहीं है बरसात की शुरुआत में जुलाई से अगस्त महीने में रोपाई करना चाहिए. नैपियर की पहली कटाई रोपाई के 70 से 75 दिनों के बाद की जा सकती है. एक बार कटाई के बाद 35 से 40 में दोबारा कटाई लायक हो जाती है. कटाई के बाद हल्का यूरिया खाद का बुरकाव का करना चाहिए जिससे घास जल्दी कटाई पर आ जाती है. सालभर में इसकी छह से आठ बार कटाई की जा सकती है. एक हेक्टेयर से एक वर्ष में 800 से 1000 क्विंटल घास का उत्पादन होता है. इसे लोबिया, बरसीम और जई के साथ अंतरवर्तीय फसल के तौर पर भी बो सकते हैं.
गिनी घास (Guinea Grass)
गिनी घास को छायादार जगहों पर आसानी से उगाया जा सकता है इसलिए इसे आम या अन्य बागानों में लगा सकते हैं. इसकी खेती लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है. रोपाई से पहले गिनी घास की नर्सरी तैयार की जाती है. इस घास की रोपाई सिंचित क्षेत्र के लिए जायद मौसम में मध्य फरवरी से अप्रैल में करें. वहीं असिंचित क्षेत्र में बारिश की शुरुआत में जुलाई से अगस्त महीने में करें.
पैरा घास (Para grass)
यह घास दलदल और अधिक नमी वाली जमीन में आसानी से उगाई जा सकती है. दो से तीन फ़ीट पानी होने पर भी यह घास बढ़ती रहती है. यही वजह है कि इसे पानी वाली घास भी कहा जाता है. बरसात की शुरुआत में इसकी गांठों की रोपाई की जाती है. पहली कटाई 75 से 80 दिनों बाद की जा सकती है. पहली कटाई के बाद 35 से 40 दिन में कटाई की जाती है.
स्टायलो घास (Stylo grass)
इसे दलहनी फसल के रूप में सीधे बुवाई या नर्सरी लगाकर रोपाई की जा सकती है. इसकी बढ़वार 0.8 मीटर से 1.6 मीटर तक हो सकती है. इसे ज्वार, बाजरा और मक्का आदि के साथ बरसात की शुरुआत में लगाना चाहिए.
सालभर हरे चारे के लिए अपनाएं ये चक्र-
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खरीफ - इस सीजन में ज्वार, मक्का, लोबिया, बाजरा और ग्वार बोए. इन चारा फसलों की बुआई जून से अगस्त महीने में करना चाहिए.
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रबी -इस मौसम में बरसीम, जई, मक्खन ग्रास की बुआई करना चाहिए. बुआई का उपयुक्त समय सितंबर से दिसंबर तक तक होता है.
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जायद -इस सीजन में लोबिया,ज्वार,मक्का, समर कालीन बाजरा, ग्वार और समर कालीन राईस बीन बोना चाहिए. बुआई का सही फरवरी मार्च से मई माह है.