कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आये हैं, जो आपको हैरानी में डालने वाली है. दरसल, आने वाले कुछ सालों में भारत सहित दुनियाभर में हो रही 70 फीसदी कपास की खेती पर जलवायु परिवर्तन का बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जिससे काफी नुकसान हो सकता है. क्या है वो हैरान करने वाली खबर जानने के लिए पढ़िए इस पूरे लेख को.
दरअसल, कॉटन 2040 इनिशिएटिव की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा अनुमान लगया जा रहा है, कि कपास की खेती को बाढ़, सूखा, तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कपास उत्पादक हो सकता काफी नुकसान.
कपास फसल- (Cotton Crop)
हमारा देश विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. वहीं, भारत के अलावा कपास की अन्य देशों में भी बहुत मांग होती है, जिसके कारण कपास को सफेद सोने के नाम से जाना जाता है. इसकी बुवाई के लिए मई - जून का महीना सबसे उपयुक्त होता है. कपास से उम्दा क्वालिटी के कपड़े बनाये जाते हैं. भारत में कपास का उपयोग 1800 बी.सी. से किया जा रहा है. कपास की खेती सूती वस्त्र उद्योग का आधार कही जाती है. वनस्पति, पशु-चर्म तथा कृत्रिम रेशे से तैयार कुल वस्त्रों का आधा से अधिक भाग कपास के रेशे से तैयार किया जाता है.
देश के किन राज्यों में किया जाता है कपास उत्पादन (In which states of the country cotton production is done)
भारत के लिए कपास एक महत्वपूर्ण फसल है, क्योंकि यह राष्ट्रीय कृषि अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देता है. भारत को कपास के वैश्विक उत्पादकों में गिना जाता है और दुनिया के सभी कपास उत्पादक देशों में दूसरे स्थान पर है. भारत में 12 से अधिक राज्य हैं जहाँ कपास का उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस वर्ष, गुजरात राज्य ने 125 लाख बाल के उत्पादन के साथ इस सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है. गुजरात में प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र भरूच, वडोदरा, पंचमहल, मेहसाणा, अहमदाबाद और सुरेंद्रनगर हैं. गुजरात के बाद महारष्ट्र भी दूसरे नंबर पर कपास उप्तादक में गिना जाता है.
देश से कपास का कितना होता है निर्यात (How Much Cotton Is Exported From The Country)
देश के उत्तरी इलाके में डेढ़ लाख गांठ उत्पादित होती है. हरियाणा, ऊपरी राजस्थान और निचले राजस्थान में इस सीजन उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जताई गई है. पिछले साल भी देश में 360 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था. निर्यात की जहां तक बात है तो अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 की अवधि में 459.26 लाख गांठों की सप्लाई हो चुकी है. देश के अंदर भी कपास की मांग बनी रहेगी और इसमें बढ़ोतरी की संभावना है.
जलवायु परिवर्तन का कपास उत्पादन पर असर (Impact Of Climate Change On Cotton Production)
कपास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की फसल है. जिसमें 21 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच समान रूप से उच्च तापमान की आवश्यकता होती है. बता दें जलवायु परिवर्तन की वजह से 50 फीसदी कपास की खेती सूखा तो 20 फीसदी रकबा बाढ़ की चपेट में आ सकता है और इसका असर सभी कपास उत्पादक देशों भारत, अमेरिका, चीन, ब्राजील, पाकिस्तान और टर्की पर पड़ सकता है.