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Updated on: 26 September, 2020 6:15 PM IST

पपीता एक स्वास्थ्यवर्धक फल माना जाता है. डॉक्टर्स मरीजों को अकसर पपीता खाने की सलाह देते हैं. पपीता की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. वहीं इससे निकलने वाले पपेन का व्यवसाय करके किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकता है. आमतौर पर पपीता की खेती बारह महीने ही की जाती है, लेकिन फरवरी-मार्च से मई-अक्टूबर के बीच में इसकी विशेष खेती की जाती है. दरअसल, इन महीनों में पपीता की खेती के लिए अनुकूल मौसम होता है. तो आइये जानते हैं कैसे पपीता की खेती की जाती है और इससे पपेन कैसे निकाला जाता है-

कैसे करें पपीता की खेती

बलुई दोमट मिट्टी पपीता की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है. जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए. पपीता लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लें और खरपतवार का निस्तारण कर लेवें. पपीता की पारंपरिक किस्में पीला वाशिंगटन, बड़वानी लाल, मधुबिंदु, हनीड्यु और कुर्ग है. वहीं इसकी हाइब्रिड किस्मेंपूसा डिलीशियस, पूसा नन्हा, को-7 और पूसा मैजेस्टी हैं. यदि आप पपेन का व्यवसाय करना चाहते हैं तो इसकी O-2 एसी, O -5 और CO -7 किस्में बोए. दरअसल, इन किस्मों में अच्छी मात्रा में पपेन पाया जाता है.  

कैसे तैयार करें पौधे

पपीता की उन्नति किस्म का चयन करने के बाद क्यारियां बनाए. क्यारियां 15 से.मी. ऊँची और एक मी. चौड़ी होना चाहिए. सबसे पहले क्यारियों में गोबर की खाद, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट को अच्छी मात्रा में मिलाए. अब बीजों को अनुशंसित दवाई से शोधन करें और फिर क्यारियों में बुवाई कर दें.  बीज को 1/2' गहराई पर 3'x6' के फासले पर पंक्ति बनाकर बोयें. अब क्यारियों को सुखी घास ढक दें इससे नमी बनीं रहेगी. वहीं सुबह शाम पानी देते रहे. जब पौधों की ऊंचाई जब 15 सेंटीमीटर हो तब फफूंदीनाशक का छिड़काव करना चाहिए. जब 2 महीने बाद पौधों में 4 से  5 पत्तियाँ आ जाये और ऊँचाई 25 सेंटीमीटर हो जाये तब खेतों में इन्हें रोप दें.

खेत में कैसे रोपे

सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लें इसके बाद 2x2 मीटर की दूरी पर 50x50x50 सेंटीमीटर आकार के गड्‌ढे करके 15 दिनों के खुले छोड़ दें. इससे धूप में मिट्टी से हानिकारक किट आसानी से मर जाते हैं. 15 दिन बाद पौधों का रोपण कर दें और दोपहर बाद रोज़ाना सिंचाई करें. ध्यान रहे पौधा लगाने से पहले पौधे की वृद्धि के लिए गोबर खाद के साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मिला दें. समय समय पर निंदाई गुड़ाई करें. पौधा रोपण के 4 महीने बाद ही दोबारा उर्वरक दें. 90 से 100 दिन के पौधों पर फूल आने लगते हैं वहीं 10 से 12 महीने के बाद पपीते के फल तोड़े जा सकते हैं.  

पपेन का उपयोग

पपीता से एक तरल पदार्थ निकलता है, जिसे पपेन कहा जाता है. जिसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, दवा, और च्युंगम निर्माण में होता है. इसलिए इसकी मांग काफी होती है. पपेन त्वचा को मुलायम करने का काम करता है, यही वजह है कि इसका उपयोग कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में किया जाता है.

पपेन निकालने की विधि

पपेन निकालने की विधि काफी सरल है. जब पपीता का पौधा ढाई तीन महीने का हो तब पपीता के फल की साइज सेब के बराबर होती है. इन कच्चे पपीता में चाकू से सुबह सुबह तीन सेंटीमीटर का चीरा लगाए. इसके बाद इससे निकलने वाले दूध को इकट्ठा कर लें. इस दौरान दस्ताने जरूर पहने ताकि तरल पदार्थ हाथ में न लगे. ध्यान रहे कच्चे पपीते से दूध निकालने के बाद तोड़कर बाजार में बेच देना चाहिए. जिसका उपयोग सब्जी में किया जा सकता है. आठ से दस घंटे में एक आदमी इन कच्चे पपीता से आधा लीटर तरल पदार्थ इकट्ठा कर सकता है, जिसे, हल्की आंच पर बर्तन में भरकर गर्म किया जाता है. इसमें प्रति किलो तरल पदार्थ के हिसाब से 500 से 700 मिलीग्राम पोटेशियम मेटा बाई सल्फाइट मिलाना चाहिए. अब इसे धीमी आंच पर गर्म करें और जब इस पर पपड़ी आ तब उतार लें. इस पपड़ी को पीसकर पाउडर पपेन पाउडर बनाया जाता है. मार्केट में पपेन की कीमत ढाई सौ से तीन सौ रुपए किलो के आसपास होती है. 

English Summary: The material gives a good income ppen papaya
Published on: 26 September 2020, 06:19 PM IST

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