Herbicide Tolerant Rice Varieties: किसान DSR विधि से बासमती चावल की इन दो किस्मों की करें खेती, बढ़ जाएगी आमदनी! Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! बिहार को ‘मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना’ के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मिला ‘प्रशस्ति पत्र’ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Top Agriculture Business Ideas: कृषि क्षेत्र के कम निवेश वाले टॉप 5 बिजनेस, मिलेगा बंपर मुनाफा! Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 29 May, 2020 2:42 PM IST

अरबी भारत में होने वाली एक मुख्य फसल है, जिसे घुईया, कुचई आदि नामों से भी जाना जाता है. इसकी खेती के लिए खरीफ मौसम सबसे उपयुक्त है. मुख्य तौर पर इसका उपयोग घरों में सब्जी के रूप में किया जाता है. वहीं इसकी पत्तियों को भी भाजी और पकौड़ों आदि के रूप में सेवन किया जाता है. चलिए आपको इसकी खेती के बारे में बताते हैं.

जलवायु

अरबी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है. इसकी खेती ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में आराम से हो सकती है. हमारे देश में उत्तर भारत की जलवायु इसके लिए उपयुक्त मानी गई है.

भूमि की तैयारी

अरबी के लिए रेतीली दोमट भूमि सबसे बढ़िया है. खेती से पहले भूमि की तैयारी जरूरी है. दो से तीन बार मिट्टी पलटने वाले हल और उसके बाद देशी हल से जुताई करें. बिजाई से पहले खेत की तैयारी करते वक्त गोबर की सड़ी खाद का उपयोग कर सकते हैं. इसे बुवाई के 15-20 दिन पहले खेतों में मिलाएं.

बुवाई का समय  

खरीफ के मौसम में जून से मध्य जुलाई में इसकी खेती कर सकते हैं. खेती के लिए मेड़ बनाकर दोनों किनारों पर 30 सें.मी. की दूरी पर कंदों की बुवाई करें. बुवाई के बाद कंद को मिट्टी में ढक देना बेहतर है.

सिंचाई

गर्मियों के समय 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें. बरसात के समय सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. अरबी को नियमित अंकुरण के लिए स्थिर सिंचाई की जरूरत होती है.

कटाई

अरबी की कटाई पत्तों के पीले पड़ने पर बिजाई के बाद की जाती है. इसकी कटाई के लिए तेजधार औज़ारों का उपयोग करें. कटाई के बाद ठंडी और शुष्क जगह पर इसको स्टोर किया जा सकता है.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

ये खबर भी पढ़े: शुष्क क्षेत्र में बेर का उत्पादन, पोषक महत्व, प्रसंस्करण एवं संभावनाएं

English Summary: Taro farming is suitable for kharif months know more about taro and profit
Published on: 29 May 2020, 02:42 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now