Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 5 February, 2023 4:05 PM IST
इमली की खेती

इमली की खेती खाने में स्वाद उत्पन्न करने वाले फल के रूप में की जाती है. इसकी खेती विशेष फलों के लिए करते हैं, जिसे अधिकतर बारिश वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है. इमली मीठी और अम्लीय प्रकृति की होती है और इसके गूदे में रेचक गुण होते हैं. भारत में कोमल पत्तियों, फूलों और बीजों का उपयोग सब्जियों के रूप में किया जाता है.

इमली की गिरी पाउडर का उपयोग चमड़े और कपड़ा उद्योग में सामग्री को आकार देने में भी किया जाता है. इमली का ज्यादा इस्तेमाल होने से इसकी डिमांड भी ज्यादा रहती है. ऐसे में किसान इमली की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आइये जानते हैं इमली की खेती का सही तरीका...

जलवायु और भूमि

खेती के लिए विशेष भूमि की जरूरत नहीं होती, लेकिन नमी युक्त गहरी जलोढ़ और दोमट मिट्टी में इमली की अच्छी पैदावार होती. इसके अलावा बलुई, दोमट और लवण युक्त मृदा मिट्टी में भी इसका पौधा वृद्धि कर लेता है. इमली का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु का होता है. यह गर्मियों में गर्म हवाओ और लू को भी आसानी से सहन कर लेता है पर सर्दियों का पाला पौधो की वृद्धि पर बुरा प्रभाव डालता है. 

खेत की तैयारी

सबसे पहले खेत की जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा करें. फिर पौधो को लगाने के लिए मेड़ तैयार करें. इन मेड़ पर ही पौधो को लगाना होता है. इमली के पौधे अच्छे से विकास कर सकें. इसके लिए खेत तैयार करते समय उसमें गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट की मात्रा को पौध रोपण के दौरान मिट्टी में मिलाकर गड्डों में भरना होता है. इसके अलावा रासायनिक उवर्रक की मात्रा मिट्टी परीक्षण के आधार पर दी जाती है. 

पौध की तैयारी

पौधों को तैयार करने के लिए सिंचित भूमि का चयन करें. मार्च के महीने में खेत की जुताई कर पौध रोपाई के लिए क्यारियों को तैयार कर लेते हैं. क्यारियों की सिंचाई के लिए नालिया भी तैयार की जाती हैं. क्यारियों को 1X5 मीटर लंबा और चौड़ा बनाते हैं. इसके बाद बीजों को मार्च के दूसरे सप्ताह से लेकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक लगाते हैं. बीजो के अच्छे अंकुरण के लिए उन्हें 24 घंटो तक पानी में भिगोना चाहिए. खेत में तैयार क्यारियों में इमली के बीजों को 6 से 7 CM की गहराई और 15 से 20 CM की दूरी पर कतारों में लगाते हैं. जिसके एक सप्ताह बाद बीजों का अंकुरण होता है, और एक माह बाद बीज अंकुरित हो जाता है. 

पौधे का रोपण

नर्सरी में तैयार पौधो को लगाने के लिए एक घन फीट आकार वाले खेत में गड्डे तैयार करें. इन गड्डों को 4X4 मीटर या 5X5 मीटर की दूरी पर तैयार करें. यदि पौधो को बाग के रूप में लगाना चाहते हैं, तो आधा घन मीटर वाले गड्डों को 10 से 12 मीटर की दूरी पर तैयार करें. नर्सरी में तैयार पौधो को भूमि से पिंडी सहित निकाले और खेत में लगाने के बाद उचित मात्रा में पानी दें. 

सिंचाई

पौधों की सामान्य सिंचाई करनी चाहिए. गर्मियों के मौसम में पौधों को खेत में नमी रहने के अनुसार पानी दें, इस बात का विशेष ध्यान रहे कि खेत में जलभराव न हो. सर्दियों के मौसम में पौधो को 10 से 15 दिन के अंतराल में पानी दें.

English Summary: Tamarind farming is proving to be a profitable deal, adopt this method for good yield
Published on: 05 February 2023, 04:15 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now