पपीता की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है. इसकी खेती करके कई किसान काफ मुनाफा उठा रहे हैं. गौरतलब है कि बाजार में कच्चे और पक्के दोनों तरह की बहुत मांग रहती है. जहां एक तरफ कच्चे पपीते से पपेन का निर्माण किया जाता है तो वहीं पका हुआ पपीता खाने के काम आता है. यही वजह है कि बाजार में पपीता की हमेशा डिमांड बनी रहती है. अगर उन्नत किस्मों की वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो काफी मुनाफा होगा. आजकल किसान पपीते की ताईवान-786 किस्म लगाकर अच्छा उत्पादन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के लोनसरा गांव के प्रोग्रेसिव फार्मर गोविंद काग इसी किस्म पपीते की रोपाई करके लाखों रूपए की कमाई कर रहे हैं. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान किसान गोंविद काग ने अपने खेत में ताईवान-786 किस्म लगाई थी. नवंबर महीन में जब फसल पककर तैयार हुई तो वो आमदनी देखखर काफी खुश हुए.
10 लाख रुपए की आमदानी
गोविंद काग ने कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में अपनी चार एकड़ जमीन में पपीता की ताईवान-786 किस्म लगाई. इसी साल मार्च-अप्रैल में उन्होंने अपनी 4 एकड़ जमीन में लगभग 4000 हजार पौधे लगाए थे. गोविंद बताते हैं कि उन्हें ड्रिप सिंचाई प्रणाली से पपीता के पौधों में सिंचाई की. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र विशेषज्ञों की सलाह पर ही इसमें आवश्यक खाद और उर्वरक दिए. जिसके कारण चार एकड़ से ही उन्हें 1650 क्विंटल पपीता की पैदावार की. जिससे उन्हें लगभग 10 लाख रूपए की आमदानी हुई जबकि पपीता की इस खेती में सिर्फ चार लाख रुपए की ही लागत आई. इस तरह कुछ महीनों में ही चार एकड़ जमीन में लगभग 6 लाख रुपए की कमाई की.
कई सालों से कर रहे हैं अलग खेती
वे पिछले कई सालों से टमाटर, करेला, खीरा समेत अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. गोविंद बड़वानी जिले के प्रोग्रेसिव फार्मर हैं और कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के बाद ही वे खेती करते हैं. नतीजतन उन्हें इससे अच्छा उत्पादन मिल जाता है.