Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 21 December, 2019 12:53 PM IST

तगर एक खुशबूदार जड़ी बूटी है, जिसकी लम्बाई 50 सेमी. तक होती है. इसके प्रकंद 6 से 10 सेंटीमीटर मोटी होती है, लम्बी रेशेदार जड़ें गाँठदार असमानरूप से वृत्तों में फैली हुई होती है. पौधे को नमी वाली दोमट मिट्टी के साथ समशीतोष्ण जलवायु में 1200  मीटर से 3000 मीटर (समुन्द्र तल से ) की ऊंचाई में बोया जाता है.

रोपण सामग्री :

बीज, प्रकंद और जड़

प्रकंद के माध्यम से इस फसल को उगाने की सलाह दी जाती है.

नर्सरी विधि :

पौध तैयार करना

वर्षा ऋतु होने पर या अप्रैल - मई में 4 -5 सेमी. की गहराई में प्रकंदो को नर्सरी में प्रत्यारोपित किया जाता है.

पौध तैयार होने पर तीन महीने के भीतर इनकों प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए.

पौध दर और पूर्व उपचार :

एक हेक्टेयर भूमि के लिए 2.5 - 3.0 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता पड़ती है.

बीजों को किसी पूर्व उपचार की आवश्यकता नहीं होती है.

खेत में रोपण :

भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रयोग :

खेत को कम से कम तीन बार जोतकर समतल करने की सलाह दी जाती है.

यदि फसल प्रकंदों / जड़ों के माध्यम से उगाई जा रही है तो पहली बार जून में खेत की जुताई करनी चाहिए.

दूसरी जुताई से पहले जून - जुलाई में 25 -30 टन खाद को एक हेक्टेयर भूमि में समान रूप से मिलाया जाता है.

जुलाई के बाद 35 -40  टन  खाद एक हेक्टेयर भूमि में मिलाया जाना चाहिए.

पौधा रोपण और अनुकूलतम दूरी :

प्रकन्द को जुलाई से अक्टूबर में लगाया जाना चाहिए.

40 -50 सेंटी मीटर की पंक्ति में 20 -30 सेंटी मीटर की दूरी में पौध लगानी चाहिए.

अंतर फसल प्रणाली :

तगर को किवी, सेब आदि अन्य फसलों के साथ उगाया जा सकता है.

 खरपतवार नियंत्रण और रख रखाव पद्धतियाँ :

भूमि को समतल करने के समय प्रति हेक्टयर 10 -15 टन उर्वरक मिलाया जाता है.

25 -30 दिनों के अंतराल में हाथों से निराई की जानी चाहिए.

सिंचाई :

नये पौधों को स्थापित करने के लिए प्रतिदिन सिंचाई की आवश्यकता होती है.

फसल प्रबंधन :

फसल पकना और कटाई :

 जड़ों को दूसरों वर्ष में काटा जाता है, क्योंकि पहले वर्ष में पैदावार बहुत ही कम होती है.

सितंबर - अक्टूबर में जड़ों को खोदने और काटने का कार्य किया जाता है.

फसल पश्चात प्रबंधन :

प्रकंदों को साफ़ पानी से धोना चाहिए और छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए.

सूखे हुए प्रकंदों को गनी थैलों  में या बॉस की टोकरियां में भंडारित करना चाहिए.

पैदावार :

प्रथम वर्ष में एक हेक्टेयर  में 35 -40 क्विण्टल ताजी जड़ तथा 8 -10 क्विण्टल सूखी जड़ें  प्राप्त की जाती है.

English Summary: Tagara cultivation : In this way, improved cultivation of Tagara, you will get a bumper income
Published on: 21 December 2019, 01:20 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now