सरकारी सब्सिडी के साथ करें इलायची की खेती, हर महीने कमाएं लाखों, जानें पूरी डिटेल जायटॉनिक एक्टिव से पाएं रासायनिक दवाओं की बेहतर गुणवत्ता और लंबा असर! वैश्विक मंच पर फिर गूंजेगी बस्तर की आवाज़: रूस यात्रा पर डॉ. त्रिपाठी किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 6 September, 2024 3:22 PM IST
सोयाबीन की पूरी फसल बर्बाद कर सकता है पीला मोजेक रोग (Picture Source - Soybean Research & Information Network)

Soybean Diseases: भारत में उगाई जाने वाली तिलहन फसलों में सोयाबीन की फसल अहम स्थान रखती है. देश की खाद्य तेल अर्थव्यवस्था में सोयाबीन का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. कई राज्यों में सोयाबीन की खेती लाखों छोटे और सीमांत किसानों द्वारा की जा रही है. सोयाबीन की फसल में लगने वाले रोग किसानों की सबसे बड़ी चिंता होती है. इसकी फसल में बीमारी लगने पर पत्तियां का रंग पीला पड़ने लग जाता है या फिर पत्तियों में छेद होने लगते हैं. आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें ये बीमारी क्या है और इसका इलाज कैसे कर सकते हैं.

क्या है पीला मोजेक रोग?

मानसून के मौसम में लगातार बारिश होने की वजह से सोयाबीन की फसल पर पीला मोजेक रोग होने का संभावना काफी होती है. इस बीमारी के होने के बाद सोयाबीन की फसल पीली पड़ने लगती है या उसके पत्तों में छेद हो जाते हैं. जब बारिश के बाद मौसम साफ होना शुरू होता है, तो खेतों में नमी की मात्रा संतुलित होने लगती है. लेकिन इस दौरान ही सोयाबीन की फसल पर पीला मोजेक रोग का प्रकोप शुरू हो जाता है. कुछ किसानों का कहना बै कि इस रोग की वजह से फसल नष्ट हो जाती है और उत्पादन में कमी आती है.

ये भी पढ़ें: लौकी की इस उन्नत किस्म से 600 क्विंटल/हेक्टेयर मिलेगी उपज, जानें इसकी पहचान

पीला मोजेक रोग के लक्षण

आपकी जानकारी के लिए जिस खेत में गर्मी के मौसम में मूंग की फसल बोई जाती है, वहां पीला मोजेक वायरस होता है. किसान के सोयाबीन की फसल लगाने के बाद ये वायरस इस पर हमला कर देता है. सोयाबीन की फसल के पत्तों के पीलापन की असली वजह पीला मोजेक वायरस होता है, जो सफेद मक्खी की वजह से फैलता है. इस रोग की चपेट में आने पर पत्ते पीले पड़ने लग जाते हैं और फलियां का आकार छोटा और दाने सिकुड़ने लग जाते हैं. बता दें, फसल में पत्ते पीले दिखाई देना का एक मुख्य कारण खेतों से पानी की निकासी न होना भी हो सकता है.

कैसे करें पीला मोजेक रोग की रोकथाम?

पीवा मोजेक रोग की रोकथाम करने के लिए आपको 1 लीटर पानी में 1 मिली सल्फ्यूरिक एसिड के साथ 0.5 प्रतिशत फेजर सल्फेट को मिलकार सोयाबीन की फसल पर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा, फसल में प्रकोप दिखने पर आप इसके रोकथाम के लिए सोयाबीन के पौधों को उखाड़कर नष्ट भी कर सकते हैं. बता दें, पीला मोजेक रोग की वजह से पौधों की वृद्धि रुक ​​जाती है और पौधा का आकार छोटा रह जाते हैं. वहीं पत्तियों का आकार बिगड़ने लग जाता है और धीरे-धीरे करके पत्तियां फटने लग जाती हैं.

English Summary: symptoms and prevention yellow mosaic disease destroy soybean crop
Published on: 06 September 2024, 03:27 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now