यह रोग ब्राज़ील देश से शुरू हुआ और बाद में यह बोलीविया, अर्जेंटीना, पैराग्वे, उरुग्वे तथा अमेरिका में फैल गया. वर्ष 2016 में यह हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया. इस रोग से अब तक गेहूं की फसल को पूर्णरूप से नहीं बचाया जा सकता किन्तु सरकार द्वारा बांग्लादेश से गेहूं के बीज तथा दानों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है.
रोग के लक्षण:
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समय से पहले बाली या शुकों का सफेद पड़ जाना, इस रोग का प्रमुख लक्षण है.
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फूल अवस्था में संक्रमित बाली में दाना नही बनाता और दाना भरने के अवस्था में इस रोग के आक्रमण से दाना सिकुड़ कर बदरंग हो जाता है.
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पत्तियों पर शुरू में पानी में भीगे हुए जैसे गहरे हरे रंग के धब्बे बनते हैं. बाद में ये धब्बे अक्सर आँख की आकृति के हल्के भूरे धब्बो में बदल जाते हैं.
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इसके लक्षण फ्यूजेरियम ब्लाइट से मिलते जुलते होते हैं.
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यह रोग बीज, फसल अवशेष तथा हवा द्वारा फैलता है.
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गेंहू में ब्लास्ट व्याधि एक कवक, मेग्नापोर्थे 'ओरायेजी से पैदा होती है.
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यह व्याधि सर्वप्रथम 1985 में ब्राजील में पायी गयी थी.
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उपज में 40-100 प्रतिशत तक गिरावट आ जाती है.
रोकथाम के उपाय
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बीज को कवकनाशियों जैसे थीरम, कार्बोक्सिन, कार्बेन्डाजिम, टेबुकोनाजोल से उपचारित करें.
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प्रतिरोधी किस्मों जैसे एचडी-2967, एचडी-3171, डीबीडब्ल्यू-39,एचडी-2043 क़िस्मों का चयन करें.
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फसल के स्वास्थ्य का सघन निरीक्षण करें तथा रोग के लक्षण दिखाई देने पर 125 ग्राम टेबुकोनाजोल 50% + ट्राईफ्लोक्सीस्ट्रोबीन 25% WG नामक कवकनाशी प्रति एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें.
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नाइट्रोजन की अधिक मात्रा का प्रयोग न करें.