Sweet Potato Farming: भारतीय किसान अब पारंपरिक खेती से हट कर गैर-पारंपरिक खेती की ओर अपना रुख कर रहे हैं और इसमें सफल भी हो रहे हैं. किसान कई तरह के फल और सब्जियों की खेती करते हैं, जिनमें शकरकंद भी शामिल है. यह दिखने में और खाने में आलू की तरह लगती है, लेकिन इसमें आलू से ज्यादा मिठास और स्टार्च होता है. इसके अलावा, शकरकंद में काफी अच्छी मात्रा में विटामिन भी पाये जाते हैं. इसका सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, इससे चेहरे पर चमक और बालों की वृद्धि होती है. शकरकंद की खेती किसानों को लिए काफी अच्छा मुनाफा कमाने में मदद कर सकती है.
कृषि जागरण के इस आर्टिकल में आज हम आपको शकरकंद की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देने जा रहे हैं.
शकरकंद की खेती का समय
शकरकंद की खेती एक सदाबाहर फसल है, जिसकी उपज किसान सालभर प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए इसे गर्मी और बारिश में लगाया जाता है. जायद मौसम में किसान इसके पौधों की रोपाई जून से अगस्त महीने के बीच में करते हैं. वहीं, इसकी फसल खरीफ सीजन की फसल के साथ तैयार हो जाती है. किसान दिसंबर-जनवरी के माह में धान की दूसरी कटाई के बाद इसे बोते हैं.
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शकरकंद की उन्नत किस्में
वैसे, तो शकरकंद की लगभग 400 से ज्यादा किस्में हैं, लेकिन देश के अधिकतर किसान जिन किस्मों की खेती करते हैं उनमें – पूसा सुनहरी, पूसा सफेद, कोंकण अश्विनी, राजेंद्र शकरकंद-5, कालमेघ, श्री रत्न क्रॉस-4, श्रीभद्रा, श्री अरुण, श्री वरुण, श्री वर्धिनी, श्री नंदिनी और वर्षा शामिल है. शकरकंद की यह उन्नत किस्में करीब 110 से 120 दिन में तैयार हो जाती है.
शकरकंद की खेती के लिए जलवायु व मिट्टी
शकरकंद की खेती के लिए सबसे अच्छी दोमट या चिकनी मिट्टी को माना जाता है, जो कार्बनिक तत्वों से भरपूर होती है. इसकी खेची के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5.8 से 6.7 के बीच होना चाहिए. शकरकंद की खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. इसकी खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त तापमान 21 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए और बारिश 75 से 150 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए.
शकरकंद की खेती कैसे करें
- शकरकंद की खेती करने के लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें.
- इसे कुछ दिनों के खुला छोड़े ताकि मिट्टी में उपस्थित कीट, पुराने फसल अवशेष और खरपतवार नष्ट हो जाए.
- अब आपको 180 से 200 क्विंटल तक सड़े हुए गोबर की खाद को प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत में डालना है.
- इसके बाद रोटावेटर की मदद से खेत की 2 से 3 जुताई कर लेनी है और मिट्टी को भुरभुरा बना लेना है.
- खेत तैयार हो जाने के बाद शकरकंद की बुवाई करें, इसके पौधें की रोपाई नर्सरी में तैयार की गई कटिंग के रूप में की जाती है.
- इसके पौधें को एक महीने पहले तैयार किया जाता है, नर्सरी में बीजों की बुवाई करके बेल को तैयार किया जाता है.
- इस बेल को उखाड़ कर इसकी कटिंग करके खेतों में रोपाई की जाती है.
- शकरकंद के पौधों की रोपाई खेत की मेड़ पर की जाती है.
- इसके पौधे की दूसरे पौधे से दूरी लगभग एक फीट होनी चाहिए.
- शकरकंद के पौधें की कटिंग को 20 सेमी तक की गहराई में बोना चाहिए.
- इसके पौधों की रोपाई करने के बाद इसे चारों ओर से मिट्टी से ढक देना चाहिए.
- इसकी रोपाई समतल भूमि पर होती है, इसलिए क्यारियों में कतारों को लगाया जा सकता है.
- आपको इसकी कतार से कतार की दूरी लगभग 2 फीट रखनी चाहिए.
शकरकंद की खेती से मुनाफा
यदि आप शकरकंद की उन्नत किस्मों की उचित कृषि क्रियाओं के साथ खेती करते हैं, तो इससे काफी अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. एक अनुमान के अनुसार, अगर आप एक हैक्टेयर में शकरकंद की खेती करते हैं, तो इससे लगभग 25 टन पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. बाजारों में शकरकंद का भाव 10 रुपये किलो या इससे अधिक होता है. यदि आप इसकी 25 टन शकरकंद को बेचते हैं, तो करीब 2.5 लाख से अधिक की कमाई कर सकते हैं.