अगले 7 दिनों तक पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत इन राज्यों में होगी झमाझम बारिश, जानें अपने शहर के मौसम का हाल India-US Trade Deal: डेयरी सेक्टर खोलने पर नहीं होगा समझौता, 8 करोड़ किसानों के हितों पर अडिग सरकार मीठे पानी के मोती उत्पादन का नया केंद्र बना यह राज्य, युवाओं के लिए खुल रहे रोज़गार के अवसर किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 31 October, 2019 12:16 PM IST

चीनी विभिन्न रसायनों से गुजरने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, गन्ना भी खेत में उगाया जाता है, जिसे सिंचाई के लिए काफी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन खेत में ही ऐसा पौधा जो कम मात्रा में पानी चाहता है और मिठास में भी चीनी से बेहतर है.

प्राकृतिक मीठा एक ऐसे पौधे की पतियों से मिलता है जो की स्टेविया रिबॉदियाना के पौधे से हासिल होता है. इसमें मीठा प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और ये साधारण चीनी से 200 गुणा अधिक मीठा होता है.

स्टीविया चीनी से अधिक मीठा हो किंतु इसमें ग्लूकोस की मात्रा न होने के चलते इससे कैलोरी के अनियंत्रित होने की संभावना नहीं रहती। यही कारण है कि स्टीविया का मौजूदा समय में कई शुगर फ्री पदार्थो को बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाने लगा है।
दक्षिण अमेरिका के पौध विविधता केंद्र में इस पौधे की उत्पत्ति हुई थी। जापान, चीन, ताइवान, थाईलैंड, कोरिया, मैक्सिको, मलेशिया, इंडोनेशिया, तंजानिया, कनाडा व अमेरिका में इसकी खेती जारी है। भारत में साल 2000 से इसकी व्यावसायिक खेती शुरू हुई।

जबकि स्टीविया एस्ट्रेसी कुल का बहुवर्षीय शाकीय पौधा है, जिससे मधुमेह, दिल के रोग और मोटापे में लाभ मिलता है। इसका प्रयोग स्वाद बढ़ाने, हर्बल चाय और पेय में किया जाता है। यह शरीर में शर्करा स्तर को प्रभावित नहीं करता। इसकी यह ख़ासियत दो मिश्रणों की वजह से हैं: पहला स्टेवियोसाइड और दूसरा रिबॉडियोसाइड.

आज स्टीविया पूरे विश्व में पाया जाता है और मीठे के प्राकृतिक विकल्प के तौर पर मशहूर है. दक्षिणी अमेरिकी देशों, जैसे ब्राज़ील में स्टीविया पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल प्राकृतिक स्वीटनर के तौर पर होता आ रहा है.

स्टीविया में पोषक तत्व नहीं होते. जिसका मतलब ये है ये आपकी डाइट में कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ाता है. जिसके चलते ये चीनी की जगह अच्छा विकल्प हो सकता है.

2015 में फ़ूड सेफ़्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) ने स्टीविया को स्वीटनर के तौर पर दूध से बने डिजर्ट, दही, कार्बोनेटेड वॉटर (सोडा), फ्लेवर्ड ड्रिंक, जैम, रेडी टू इट सीरियल्स में इस्तेमाल करने की मंज़ूरी दी. तब से अमूल और मदर डेयरी ने भी चीनी की जगह स्टीविया के इस्तेमाल में दिलचस्पी दिखाई है.

स्टीविया शाकीय पौधा है। इसको खेत में उगाया जाता है और इसकी पत्तियों का उपयोग होता है। आइएचबीटी ने इसकी सुधरी हुई संकर प्रजातियां विकसित की हैं, जिन्हें बीज से उगाया है। व्यावसायिक तौर पर इस पौधे की पत्तियों से स्टीवियोसाइड, रेबाडियोसाइड व यौगिकों के मिश्रण को निष्पादन कर उपयोग में लाया जाता है। वैज्ञानिकों ने इसके परिशोधन करने के लिए ऑन विनिमन रेजिन एवं पोलिमेरिक एडजौंरेंट रेजिन प्रक्रियाओं का विकास किया है। स्टीविया की फसल को बहुवर्षीय फसल के रूप में उगाया जा सकता है, लेकिन यह सूखे को सहन नहीं कर सकती। इसको बार-बार सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई के दो या तीन दिन के बाद दूसरी बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है।

2017 में जर्नल ऑफ़ मेडिसिनल फ़ूड में छपे एक आर्टिकल में डायबिटीज़ के दौरान स्टीविया का इस्तेमाल करने के प्रभावों की समीक्षा की गई. इसमें पाया गया कि स्टीविया डायबिटीज ग्रसित चूहों के ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को कम करता है और साथ ही उनका इंसुलिन लेवल बढ़ा हुआ पाया गया.

इंसानों पर स्टीविया के एंटी-डायबिटीक प्रभावों के बारे में फ़िलहाल अधिक रिर्सच की ज़रूरत है, ताकि एक साफ़ तस्वीर हमारे सामने आ सके. हालांकि अबतक हुए किसी भी अध्ययन में स्टीविया के बुरे प्रभाव सामने नहीं आये हैं.

चीनी की जगह स्टीविया का इस्तेमालचूंकि स्टीविया ज़्यादा मीठी होती है इसलिए आपको प्रयोग करने की ज़रूरत पड़ सकती है, कि कितनी मात्रा आपके लिए सही है. ज़्यादातर एक चुटकी स्टीविया आपको एक चम्मच चीनी के बराबर मीठापन देती है.

स्टीविया पाउडर को ब्रेकफ़ास्ट सीरियल या दही में भी डालकर खा सकते हैं.

आइसक्रीम या फलों से बने डिज़र्ट बनाने में चीनी की जगह स्टीविया का इस्तेमाल करने की कोशिश करें.

स्टीविआ ग्लोबल समिट 2019 का शुभारम्भ 9नवंबर को नोयडा के एक्सपो सेंटर में होने जा रहा है, जिसमे विश्व के स्टेविआ एक्सपर्ट सभी एक जगह इक्कठा हो रहे हैं और वहीँ पर स्टीविआ के पौधे, प्रोडक्ट सभी देखने को मिलेंगे.

सौरभ अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, स्टीविआ बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने कृषि जागरण से मुलाकात करते हुए भारत के किसानो और स्टीविआ में रूचि रखने वालों के लिए बहुत ही अच्छी जानकारी से अवगत कराया.

English Summary: Sweet Natural Choice
Published on: 31 October 2019, 12:21 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now