Sugarcane Varieties: भारत में गन्ना किसानों के लिए एक नगदी फसल के रूप में उगाई जाती है. किसानों को इस फसल की पैदावार तक में बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है, जिससे वह इस फसल को कीड़ों या अन्य रोगों से सुरक्षित रख सकें. आज के समय में गन्ने की कई आधुनिक किस्मों को विकसित किए जा चुका है. किसानों की नई उन्नत किस्मों में Co 0238, Co C 671, Co 6304, Co. JN 9823 सबसे प्रमुख हैं. यह सभी किस्में किसानों को ज्यादा पैदावार देती हैं.
गन्ना किसानों के लिए नगदी फसलों में बोई जाने वाली सबसे ज्यादा लोकप्रिय फसल है. इसके साथ ही सरकार इस फसल के लिए सब्सिडी भी देती है. आज आपको इन सभी किस्मों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे.
Co 0238
गन्ने की Co 0238 को करन 4 के नाम से भी जाना जाता है. गन्ने की यह संकर किस्म Co LK 8102 और Co 775 के संकरण से बनी गई है. इस किस्म की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें लाल सड़न रोग नहीं होता है. इस किस्म में मिठास की मात्रा भी लगभग 20 प्रतिशत होती है. वहीं पैदावार 80 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
Co C 671
गन्ने के पूरी तरह तैयार में में यह किस्म सबसे कम समय लेती है. पौध रोपाई हम के लगभग 9 से 10 महीने में ही इसकी कटाई की जा सकती है. अगर हम इस तैयार गन्ने की लम्बाई की बात करें तो यह 12 फीट तक होती है. इस ऊंट किस्म की पैदावार 90 से 100 टन प्रति हेक्टेयर होती है और इसकी मिठास की मात्रा भी 22 प्रतिशत तक होती है.
Co 6304
गन्ने की इस किस्म को ज्यादा उत्पादन के लिए लगाया जाता है. सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में होने वाली इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर 100 से 120 टन होती है. वहीं इस उन्नत किस्म में लाल सड़न रोग और कंडुआ रोग भी नहीं होता है. इसमें 19 प्रतिशत तक मिठास पाई जाती है.
Co.J.N. 9823
गन्ने की यह किस्म भी ज्यादा पैदावार के लिए किसानों की पसंद बनी हुई है. 100 से 110 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार वाली इस किस्म में 20 प्रतिशत तक मिठास होती है. इसमें लाल सड़न रोग बहुत कम होता है.
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Co.Jawahar 94-141
गन्ने की इस किस्म की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. वहीं इसमें मिठास की मात्रा भी लगभग 20 प्रतिशत तक होती है. 14 महीने में तैयार होने वाली इस किस्म की प्रति हेक्टेयर पैदावार 120 से 150 टन तक होती है.