Tips For Sesame cultivation: भारत में खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसलों में से एक तिल (Sesame) भी है, जिसे तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है. यह फसल कम पानी और कम लागत में भी अच्छी पैदावार देती है. तिल का उपयोग तेल, मिठाइयों और आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है. इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प हो सकती है. आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में तिल की खेती के लिए सही जलवायु, मिट्टी, बीज का चुनाव और बुवाई का समय सहित सब कुछ जानें...
तिल की खेती के लिए सही जलवायु और मिट्टी
- तिल की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
- 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी अच्छी बढ़त के लिए जरूरी है.
- इसे हल्की बलुई दोमट या जलोढ़ मिट्टी में उगाना सबसे अच्छा होता है.
- अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त रहती है, क्योंकि जलभराव से फसल खराब हो सकती है.
बीज का चुनाव और बुवाई का समय
- तिल की कई किस्में उपलब्ध हैं, जैसे कि टीकेजी-306, टीकेजी-55, प्रभात, कृष्णा, आदि.
- बीजों का चयन करते समय अच्छी गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का उपयोग करना चाहिए.
- खरीफ मौसम में इसकी बुवाई जून से जुलाई के बीच और रबी में सितंबर से अक्टूबर तक की जाती है.
- बीजों को 3-4 सेमी की गहराई पर 25-30 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए.
सिंचाई और खाद प्रबंधन
- तिल की फसल को बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती.
- खेत में नमी बनाए रखने के लिए 2-3 सिंचाइयाँ पर्याप्त होती हैं.
- पहली सिंचाई बुवाई के 25-30 दिन बाद और दूसरी फूल आने के समय करनी चाहिए.
- जैविक खाद जैसे गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश उर्वरकों का संतुलित उपयोग फसल की पैदावार बढ़ाने में सहायक होता है.
रोग और कीट नियंत्रण
- तिल की फसल में कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं, जैसे तना छेदक, सफेद मक्खी, पत्ती धब्बा रोग आदि.
- जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने से फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.
- रोगों से बचाव के लिए बीज उपचार और समय-समय पर खेत का निरीक्षण जरूरी होता है.
कटाई और उपज
- तिल की फसल 75-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
- जब 70-80% फली पीली पड़ जाए, तो कटाई करनी चाहिए.
- तिल की औसत उपज 5-7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, लेकिन अच्छी देखभाल से यह 10 क्विंटल तक भी हो सकती है.
तिल की खेती के फायदे
- कम लागत, अधिक मुनाफा: कम सिंचाई और खाद की जरूरत होने से खेती में कम खर्च आता है.
- जलवायु अनुकूलता: यह फसल सूखा सहनशील होती है, जिससे सूखे इलाकों में भी अच्छी उपज मिल सकती है.
- बाजार में मांग: तिल के तेल और अन्य उत्पादों की बाजार में हमेशा अच्छी मांग रहती है.
- भूमि की उर्वरता बढ़ती है: तिल की खेती मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखती है और इसे अन्य फसलों के लिए तैयार करती है.