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Updated on: 4 October, 2022 12:01 PM IST
रबी सीजन में किसानों के लिए सलाह

रबी फसलों की बुवाई से पहले किसान अपने-अपने खेतों को अच्छी प्रकार से साफ-सुथरा करें. मेड़ों, नालों, खेत के रास्तों तथा खाली खेतों को साफ-सुथरा करें ताकि कीटों के अंडे, रोगों के कारक नष्ट हो सके  तथा खेत में सड़े गोबर की खाद का उपयोग करें क्योंकि यह मृदा के भौतिक तथा जैविक गुणों को सुधारती है तथा मृदा की जल धारण क्षमता को भी बढ़ाती है.

सरसों की बुवाई को लेकर सलाह

मौसम की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई कर सकते हैं. उन्नत किस्में- पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक. बीज दर– 5-2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड. बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को अवश्य ज्ञात कर ले ताकि अंकुरण प्रभावित न हो. बुवाई से पहले बीजों को थायरम या केप्टान  2.5 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें. बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है. कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सें. मी. और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सें.मी. दूरी पर बनी पंक्तियों में करें. विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सें.मी. कर ले. मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से अंतिम जुताई पर डालें.

मटर की खेती को लेकर सलाह 

इस मौसम में किसान मटर की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में -पूसा प्रगति, आर्किल. बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम  2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें.

गाजर की खेती को लेकर सलाह

इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ो पर कर सकते हैं. उन्नत किस्में - पूसा रूधिरा, पूसा असिता. बीज दर 4.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़. बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान  2 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करें तथा खेत में गोबर की खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें. गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 2.0 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है जिससे बीज की बचत तथा उत्पाद की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है.

साग- सब्जियों को लेकर सलाह

इन सब चीजों के अलावा इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें. यदि फसलों व सब्जियों में सफ़ेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो थायमीथोजाम@0 ग्रा. प्रति 10 लीटर पानी में या नीम-तेल (5 %) प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

सब्जियों (मिर्च, बैंगन) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाए तथा प्रकोप अधिक हो तो स्पेनोसेड़ दवाई 1.0 मि.ली./4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़­काव करें.

किसान इस समय सरसों साग- पूसा साग-1, मूली- पूसा चेतकी, समर लोंग, पूसा चेतकी; पालक- आल ग्रीन मेथी- पी. ई. बी. तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें.

जिन किसानों की हरी प्याज की पौध तैयार हैं तो रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. जिनको पौधशाला तैयार करनी है तो पौधशाला जमीन से थोड़ा ऊपर बनाये.

अगेती आलू की बुवाई से किसानों को अधिक लाभ की प्राप्ति हो सकती हैं,क्योंकि यह फसल 60-90 दिन में तैयार हो जाती है.उन्नत किस्म- कुफरी सुर्या, इसके बाद रबी की कोई अन्य फसल जैसे पछेता गेहूँ को लिया जा सकता है.

इस मौसम में कीटों की रोकथाम के लिए प्रकाश प्रपंच का भी इस्तेमाल कर सकते है.इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बरतन में पानी और थोड़ा कीटनाशी मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें. प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जायेंगें इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा.

धान की खेती को लेकर सलाह

इस मौसम में धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं तथा प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दानें 10 किलोग्राम/एकड़ का भुरकाव करें.

इसके अलावा इस मौसम में धान की फ़सल में जीवाणु पत्ती झुलसा रोग के आने की संभावना है. यदि धान की खड़ी फ़सल में पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा हो तथा इन पर जलसोख धब्बे बन रहे हैं जिसके कारण आगे जाकर पूरी पत्ती पीली पड़ने लगे तो इसके रोकथाम के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (streptocycline) 15 ग्रा. तथा कांपर हाइड्रोक्साइड @ 400 ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.

इस मौसम में बासमती धान में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है. इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल कर पीला पड़ जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 @ 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें.

इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है अतः किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो ओशेन (Dinotefuran) 100 ग्राम/ 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.  

English Summary: sowing of rabi season will be start in few days know here how to do sowing
Published on: 04 October 2022, 12:10 PM IST

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