HD 2967 Variety of Wheat: रबी सीजन में उगाए जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक गेंहू भी है, इसकी खेती के लिए अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. वहीं, इसकी पछेती किस्मों की बुवाई दिसंबर के आखिर तक की जा सकती है. ऐसे में किसान गेंहू की फसल से अच्छी गुणवक्ता और उपज प्राप्त करने के लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं. भारतीय बाजार में गेहूं की कई उन्नत किस्में मौजूद है, जो कम समय में अच्छी खासी पैदावार देती है. इन्हीं में से एक गेहूं HD 2967 किस्म है, जो कई रोगों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता रखती है. इसमें प्रोटीन 12.7 प्रतिशत पाया जाता है और इसका Glu-1 स्कोर (10) है, जो इसे चपाती के लिए सर्वोत्तम विकल्प बनाता है. इस किस्म की बुवाई के बाद कुछ ही दिनों में इसकी फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, गेहूं एचडी 2967 किस्म की खासियत और इसे ऑनलाइन मांगना का तरीका.
खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र
गेहूं एच.डी.- 2967 किस्म की खेती के लिए पंजाब, हरियाण, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपूर को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी क्षेत्र को छोड़कर), जम्मू और कश्मीर (जम्मू व कटुवा जिला), हिमाचल प्रदेश (उना जिला व पौन्टा वैली) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) में सिंचित और समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है. किसानों को इस किस्म की बुवाई के लिए समतल उपजाऊ भूमि का चयन करना चाहिए, जिसमें पलेवा करने के बाद डिस्क व टीलर से जुताई की गई हो.
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बीज उपचार और बुवाई का समय
गेहूं की इस उन्नत किस्म के बीजों का उपचार करने के लिए आप वीटावैक्स का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए आपको प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से 2 ग्राम वीटावैरक्स की आवश्यकता होती है. एचडी 2967 किस्म की बुवाई के लिए भारत में 10 से 20 नवंबर तक समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. बता दें, यदि किसान समय पर बुवाई नहीं करते हैं, तो इससे पैदावार पर असर पड़ सकता है.
बुवाई की विधि
इस किस्म की बुवाई करते वक्त किसानों के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है. गेहूं की इस किस्म की बुवाई के लिए आपको एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी लगभग 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. वहीं एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी करीब 5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. यदि आप एक एकड़ में गेहूं की इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो आपको 40 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता
एचडी 2967 किस्म गेहूं की फसल में लगने वाली कई विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी क्षमता रखती है. यह पीला रतुआ व भूरा रतुआ जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है. इन विशेषताओं के चलते यह किस्म रोगमुक्त और स्वस्थ फसल देने में सक्षम है, जिससे किसानों को उत्पादन में कम से कम नुकसान देखने को मिलता है. अगर इसकी फसल में रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो प्रोपीकोनाजाल/ ट्राईडेमेफोन / टेबूकोनाजोल 0.1 प्रतिशत (1 एमएल प्रति ली0) का पत्तियों पर 2 बार छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए.
उर्वरक की मात्रा
गेहूं की इस उन्नत किस्म के लिए उर्वरक की मात्रा 60:24:16 (ना: फा: पो) किग्रा. प्रति एकड़, नाइट्रोजन की मात्रा 3 हिस्सों में दी जाती है. पहला हिस्सा बुवाई के समय, दूसरा हिस्सा कल्ले निकलते समय बुवाई के 25 से 30 दिन बाद व तीसरा आवश्यकता अनुसार सिंचाई के समय 45 से 60 दिन बाद ही दें.
एचडी 2967 किस्म की सिंचाई
गेहूं की इस उन्नत एचडी 2967 किस्म को 5 से 6 सिंचाई की आवश्यता होती है. फसल की पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद और उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए.
फसल की कटाई
गेहूं की एचडी 2967 किस्म बुवाई के लगभग 127 से 160 दिनों के बाद (औसतन 143 दिन) में फसल की कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
गेहूं की एचडी 2967 किस्म से उत्पादन
किसान गेहूं की इस उन्नत किस्म एचडी 2967 की खेती से लगभग प्रति एकड़ 16.4 क्विंटल से 26.4 क्विटंल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस उन्नत किस्म की औसतन उपज प्रति एकड़ 20.4 क्विंटल तक रहती है.
खरपतवार नियंत्रण
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए मैटसल्फूरोन 1.6 ग्राम प्रति एकड़ या कारफन्ट्राजोन 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 100 से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
- संकरी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए क्लोडीनाफोप 24 ग्राम या फिनोक्साप्रोप 40 ग्राम या सल्फुसल्फोरोन 10 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए.
- मिश्रित खरपतावर नियंत्रण के लिए क्लोडीनाफोप और कारफेन्ट्राजोन या सल्फुसल्फोरोन के साथ मैटसल्फूरोन का उपयोग बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद करना चाहिए.
गेहूं की उन्नत किस्म एचडी 2967 का बीज
अगर आप गेहूं की उन्नत किस्म एचडी 2967 को खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पास ऑनलाइन ऑप्शन भी उपलब्ध है. किसान पूसा बीज पोर्टल से 40 किलो बीज 2000 रुपये में खरीद सकते हैं. इस किस्म का बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूसा बीज पोर्टल के लिंक पर जाकर ऑनलाइन ऑर्डर करके आसानी से मंगवाया जा सकता है.